
Gariaband School News: जर्जर स्कूल भवन बना बच्चों की पढ़ाई में बाधा, पेड़ के नीचे लग रही कक्षाएं, 20 साल से नहीं हुई मरम्मत
गरियाबंद, छत्तीसगढ़। जिले के आदिवासी बाहुल्य पंडरीपानी गांव में स्कूली शिक्षा की हालत बेहद चिंताजनक है। गांव के प्राथमिक विद्यालय का भवन 20 साल पुराना और जर्जर हो चुका है। हादसे के डर से शिक्षक और ग्रामीण बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं। बारिश हो या धूप, बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
पेड़ के नीचे चल रही कक्षा, भवन गिरने का डर
बेगरपाला पंचायत के आश्रित ग्राम पंडरीपानी में रहने वाले 32 कमार और भुजिया जनजाति परिवारों के बच्चों की पढ़ाई राम भरोसे है। स्कूल भवन की हालत इतनी खराब है कि उसकी दीवारों में दरारें हैं और छत किसी भी वक्त गिर सकती है। इसी कारण सिर्फ 13 बच्चों का ही स्कूल में नामांकन हुआ है, जबकि गांव में 22 से ज्यादा पढ़ने योग्य बच्चे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने बच्चों को खतरे के बीच नहीं भेज सकते। कई माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं, जिससे शिक्षा का अधिकार वंचित रह गया है।
विशेष योजनाओं में शामिल नहीं, पिछली सरकार की योजना भी अधूरी
ग्राम सरपंच मनराखन मरकाम ने बताया कि पंडरीपानी 100% जनजातीय आबादी वाला गांव है, फिर भी यह “विशेष पिछड़ी जनजाति योजना” या “मुख्यमंत्री जतन योजना” में शामिल नहीं किया गया। ना तो स्कूल की मरम्मत को कोई फंड मिला और ना ही नया भवन स्वीकृत हुआ।
पिछली सरकार की ओर से आवास निर्माण के लिए जो बजट मिला था, वो भी अधूरा रहा, जिससे निर्माण कार्य ठप है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी कोई मंजूरी नहीं दी गई है।
जनप्रतिनिधियों की बैठक, आंदोलन की चेतावनी
क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और ग्रामीणों के साथ मिलकर बैठक की। उन्होंने कहा, “पंडरीपानी जैसे जनजातीय गांव को सरकार की जनमन योजना में शामिल नहीं किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि जिला प्रशासन शीघ्र कार्रवाई नहीं करता, तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।”
शासन को भेजा गया है प्रस्ताव: जिला शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी जगजीत सिंह धीर ने जानकारी दी कि विद्यालय भवन के अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। “हमें उम्मीद है कि इस शैक्षणिक सत्र में मंजूरी मिल जाएगी और निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा,” उन्होंने कहा।
यह रिपोर्ट ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़ा करती है। ऐसी स्थितियों में बच्चों के शिक्षा अधिकार की सुरक्षा और प्राथमिक विद्यालयों के बुनियादी ढांचे का विकास नितांत आवश्यक है।