Firecrackers Ban Across India-
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों पर बैन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान बड़ा बयान दिया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि अगर दिल्ली को साफ हवा का अधिकार है, तो पूरे देश के नागरिकों को भी यही अधिकार मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
बेंच ने साफ किया कि पर्यावरण और प्रदूषण से जुड़ी नीतियां सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए होनी चाहिए।
CJI गवई ने कहा –
“हम सिर्फ दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते, क्योंकि यहां देश का एलीट क्लास रहता है। साफ हवा का अधिकार पूरे देश के लोगों का है।”
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की है।
कोर्ट में क्या हुआ?
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सुप्रीम कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा।
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न्यायमित्र सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने कहा कि दिल्ली का कुलीन वर्ग प्रदूषण बढ़ने पर बाहर चला जाता है, लेकिन बाकी लोगों को झेलना पड़ता है।
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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कोर्ट ने कहा कि वे CAQM से प्रदूषण पर विस्तृत रिपोर्ट लें।
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NEERI यह जांच कर रहा है कि क्या ग्रीन पटाखों से प्रदूषण कम हो सकता है।
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पटाखा कंपनियों ने सुझाव दिया कि NEERI बताए कि कौन-से केमिकल कितनी मात्रा में पटाखों में इस्तेमाल हो सकते हैं।
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कंपनियों की दलील पर कोर्ट ने कहा कि मौजूदा लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगी रहेगी।
दिल्ली-NCR में पहले से लागू सख्ती
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अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री, स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था।
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दिल्ली का AQI 200 से ऊपर जाने के बाद 14 अक्टूबर को GRAP-1 लागू किया गया।
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इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और लकड़ी का इस्तेमाल बैन है।
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पुरानी BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल गाड़ियों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है।
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सड़क निर्माण और मेंटेनेंस प्रोजेक्ट्स में एंटी-स्मॉग गन और डस्ट कंट्रोल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है।
AQI का मतलब और खतरा
AQI (Air Quality Index) हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, PM 2.5 और PM 10 जैसे प्रदूषकों की मात्रा को मापने का पैमाना है।
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200–300 के बीच AQI को खराब माना जाता है।
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अभी राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में AQI 300 से ऊपर जा चुका है।
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यह स्तर न केवल खतरनाक हवा को दिखाता है बल्कि सांस और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता है।
