
Female TI Suspended -रायपुर की महिला थाना प्रभारी पर FIR, महिला को बेल्ट-लाठी से पीटने और गाली देने का आरोप, पहले रिश्वत में हो चुकी हैं गिरफ्तार
रायपुर, 3 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पुलिस व्यवस्था एक बार फिर विवादों में है। महिला थाना की पूर्व प्रभारी वेदवती दरियों, महिला सब-इंस्पेक्टर शारदा वर्मा और कांस्टेबल फगेश्वरी कंवर के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि इन्होंने एक महिला पीड़िता को थाने में लाठी और बेल्ट से पीटा, गाली-गलौज की, और फिर उल्टा उसी के खिलाफ FIR भी दर्ज कर दी।
पति-पत्नी के विवाद में महिला से मारपीट
यह मामला मार्च 2024 का है, जब यास्मीन फातिमा अपने पति आसिफ अली के साथ आपसी विवाद को लेकर महिला थाना पहुंची थी। यास्मीन के साथ उसकी मां नसीमा बेगम और भाई वसीम खान भी मौजूद थे। काउंसलिंग के दौरान जब दोनों पक्षों में विवाद बढ़ा, तो महिला थाना प्रभारी ने एकतरफा रवैया अपनाते हुए यास्मीन और उसके परिजनों को डंडे और बेल्ट से पीटने का आरोप लगाया गया है।
शारीरिक चोट और मानसिक उत्पीड़न
पीड़िता के अनुसार, उसे पीठ और गर्दन पर गंभीर चोटें आई थीं और उसके शरीर पर लाठी के गहरे निशान बन गए थे। घटना के तुरंत बाद वेदवती दरियों ने उल्टा यास्मीन और उसके परिवार के खिलाफ कोतवाली थाने में झूठी FIR दर्ज करवा दी थी।
कोर्ट के निर्देश पर दर्ज हुई FIR
यास्मीन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट ने पुलिस को FIR दर्ज करने के निर्देश दिए। अब IPC की धाराओं के तहत तीनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौज और धमकी देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
रिश्वत लेते पकड़ी गई थीं महिला TI, ACB ने किया था रंगे हाथों गिरफ्तार
यह वही वेदवती दरियों हैं, जिन्हें जुलाई 2024 में ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने 50 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। वह एक महिला से उसके पति के खिलाफ FIR दर्ज करने के बदले रिश्वत की मांग कर रही थीं। पहले 50 हजार मांगे, बाद में 35 हजार में मामला तय हुआ।
ACB ने रंगे हाथ पकड़ने के लिए केमिकल वाले नोट दिए थे, जिन्हें जैसे ही दरियों ने छुआ, उनके हाथ का रंग बदल गया और ACB ने उन्हें मौके पर ही अरेस्ट कर लिया। इसके बाद एसएसपी ने उन्हें तत्काल सस्पेंड कर दिया था।
सवालों के घेरे में महिला थाना की कार्यप्रणाली
अब सामने आया मारपीट का मामला, दरियों के निलंबन से तीन महीने पहले का है, जो यह दर्शाता है कि महिला थाना में पीड़ितों को न्याय देने के बजाय, उन पर अत्याचार किया गया। यह गंभीर मामला छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।