Fastest Growing economy: भारत बना रहेगा दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP ग्रोथ) का अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया है, जो कि जनवरी 2025 में 6.6% अनुमानित किया गया था। हालांकि इस मामूली गिरावट के बावजूद, भारत को अब भी विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में गिना जा रहा है। यह आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट “विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं: 2025 मध्य वर्ष संस्करण” में सामने आया है, जिसे 16 मई को प्रकाशित किया गया।
भारत की आर्थिक मजबूती के मुख्य आधार: खपत और सरकारी निवेश
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख आधार मजबूत घरेलू उपभोग और सरकार द्वारा किया गया निवेश है। इसके साथ ही सेवा क्षेत्र का निर्यात भी इस विकास को गति देने में सहायक रहा है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत की ग्रोथ को निजी खपत, सार्वजनिक निवेश और सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन ने सहारा दिया है।
वैश्विक व्यापारिक तनाव का संभावित असर
रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर बढ़ते व्यापारिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता की ओर भी इशारा किया गया है। अमेरिका द्वारा शुल्कों में बढ़ोतरी से अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ा है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ी है और निवेश के निर्णयों में अनिश्चितता आई है। इसका भारत के निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है, हालांकि फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स, ऊर्जा और तांबा जैसे क्षेत्र इस प्रभाव से फिलहाल अछूते हैं।
महंगाई में गिरावट की संभावना, रोजगार लगभग स्थिर
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उपभोक्ता महंगाई दर 2024 में जहां 4.9% रही, वहीं 2025 में इसके घटकर 4.3% तक आने की संभावना है। यह दर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्य के भीतर है। रोजगार के मोर्चे पर कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है, हालांकि महिला श्रम भागीदारी में असमानता बरकरार है, जिसे सुधारने की आवश्यकता है।
नीतिगत दरों में बदलाव की शुरुआत
भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2025 में अपनी मौद्रिक नीति में ढील देते हुए रेपो रेट में कटौती शुरू की। इससे पहले यह दर फरवरी 2023 से 6.5% पर स्थिर थी। इस कदम का उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना है। दक्षिण एशिया के अन्य देशों जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में भी आईएमएफ के सहयोग से आर्थिक अनुशासन की ओर रुझान देखा गया है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व की GDP वृद्धि दर 2025 में घटकर 2.4% रहने की संभावना है, जो 2024 में 2.9% थी। यह आंकड़ा जनवरी 2025 के अनुमान से 0.4% कम है। यह मंदी नहीं है, लेकिन यह संकेत जरूर है कि वैश्विक विकास की गति धीमी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी शांतनु मुखर्जी ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था अस्थिरता के दौर से गुजर रही है और नीति संबंधी अनिश्चितताओं से हालात और जटिल हो सकते हैं।
अन्य प्रमुख देशों की विकास दर
रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका की विकास दर 2024 में 2.8% थी, जो 2025 में घटकर 1.6% होने की संभावना है। चीन की वृद्धि दर 2025 में 4.6% तक सीमित रह सकती है। इसी तरह ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका जैसे अन्य विकासशील देशों की भी आर्थिक वृद्धि दर में कमी देखी गई है।
कम विकसित देशों के संदर्भ में रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वहां की विकास दर 2025 में 4.5% से घटकर 4.1% हो सकती है। इन देशों को कर्ज बोझ, कम निर्यात आमदनी और घटती अंतरराष्ट्रीय सहायता का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी विकास योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता
रिपोर्ट के अंत में कहा गया है कि वैश्विक व्यापार में बढ़ते तनाव और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाना बेहद आवश्यक है। विकासशील और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को लक्षित समर्थन देना और नियम-आधारित व्यापार प्रणाली को मजबूत करना ही सतत विकास की दिशा में एकमात्र समाधान है।
Source – Amar Ujala
