
DMF घोटाला केस: 6000 पन्नों की चार्जशीट, 75 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा
छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि (DMF) से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच में तेज़ी आई है। ACB और EOW की संयुक्त टीम ने रायपुर की विशेष अदालत में इस मामले में 6000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में IAS अधिकारी रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी सहित कुल 9 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है।
भारी भरकम रिश्वत का खेल: 75 करोड़ का घोटाला
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, DMF फंड से जुड़े टेंडर आवंटनों में भारी अनियमितताएं पाई गईं। आरोपियों ने प्राइवेट कंपनियों के ठेके दिलाने के बदले सरकारी अफसरों को 25% से 40% तक कमीशन बांटा। यह घोटाला कुल 75 करोड़ रुपये के करीब का बताया जा रहा है। कई अधिकारियों ने टेंडर राशि का हिस्सा निजी लाभ के रूप में लिया।
चार्जशीट में ये नाम शामिल
चार्जशीट में जिन अधिकारियों के नाम प्रमुखता से सामने आए हैं उनमें कोरबा के तत्कालीन DMF नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर, जनपद CEO भुनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं। सभी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं और अगली सुनवाई की तिथि अभी तय नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत, फिर भी जेल
मार्च में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोल घोटाले में अंतरिम जमानत दिए जाने के बावजूद, EOW ने DMF मामले में प्रोडक्शन वारंट लेकर इन आरोपियों को फिर से गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा मनोज द्विवेदी को भी बाद में गिरफ्तार किया गया।
क्या है DMF और कैसे हुआ घोटाला?
DMF यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन, एक ट्रस्ट के रूप में काम करता है जो खनन से प्रभावित लोगों के कल्याण हेतु फंड का उपयोग करता है। लेकिन जांच में सामने आया है कि इस फंड के उपयोग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और टेंडर गड़बड़ी हुई।
EOW ने IPC की धारा 120B और 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। रिपोर्ट बताती है कि फंड के वितरण में टेंडर कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया।
टेंडरधारियों और बिचौलियों की मिलीभगत
जांच में सामने आया है कि टेंडर में शामिल कुछ नाम जैसे संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिये मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, आदि ने अधिकारियों के साथ मिलकर कमीशन की रकम ली। रिश्वत की रकम को अकोमोडेशन एंट्री के रूप में दर्ज किया गया।
बरामद हुई बड़ी रकम और दस्तावेज
छापेमारी में कई फर्जी कंपनियों के दस्तावेज, 76.50 लाख की नकदी, 8 बैंक खाते जिनमें 35 लाख रुपये और फर्जी फर्मों से जुड़े स्टांप व डिजिटल डिवाइस बरामद हुए हैं। यह घोटाला केवल DMF के पैसों तक सीमित नहीं रहा बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग की भी पुष्टि हुई है।
ED की कार्रवाई और संपत्ति कुर्की
ईडी (ED) ने इस मामले में अब तक 23.79 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति कुर्क की है। यह संपत्ति मुख्य रूप से IAS रानू साहू, माया वारियर और अन्य आरोपियों की है।
बड़े अफसर और राजनेताओं की मिलीभगत
जांच रिपोर्ट के अनुसार यह घोटाला केवल अफसरों तक सीमित नहीं था बल्कि कई राजनीतिक चेहरों की मिलीभगत भी इसमें शामिल रही है। DMF के नाम पर सरकारी खजाने से अवैध रूप से रकम निकाली गई और बिचौलियों के माध्यम से उसे निजी लाभ में बदल दिया गया।
ED और EOW की रेड कार्रवाई
ED और EOW ने मिलकर छत्तीसगढ़ के कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर, सूरजपुर, बलरामपुर, बैकुंठपुर सहित कई जिलों में छापे मारे। पूर्व मंत्री अनिला भेंडिया के प्रतिनिधि पीयूष सोनी, जनपद CEO राधेश्याम मिर्झा, और कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल के आवासों पर भी कार्रवाई की गई। महाराष्ट्र में भी चार स्थानों पर रेड कर 1.11 करोड़ रुपये की नकदी और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए।