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Digital Arrest Fraud-
अंबिकापुर, 3 जुलाई 2025।छत्तीसगढ़ के गांधीनगर थाना क्षेत्र स्थित CRPF कैंप में तैनात एक सब-इंस्पेक्टर आर. महेन्द्र से 22 लाख रुपये की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ और फर्जी कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर 17 दिन तक उन्हें अपनी बातों में उलझाए रखा और चरणबद्ध तरीके से पैसे ऐंठ लिए।
एक फर्जी कॉल से शुरू हुआ था जाल
साइबर ठगी की शुरुआत एक अज्ञात कॉल से हुई। कॉल करने वाले ने खुद को “टेलीकॉम डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया, दिल्ली” का अधिकारी रविशंकर बताया। उसने बताया कि SI के आधार कार्ड से जारी सिम कार्ड से मनी लॉन्ड्रिंग जैसी आपराधिक गतिविधियां हो रही हैं। धमकी दी गई कि अगर सहयोग नहीं किया गया, तो दिल्ली पुलिस की ओर से डिजिटल अरेस्ट वारंट जारी कर गिरफ्तारी की जाएगी।
मानसिक दबाव में 17 दिन की ठगी
इस तरह की लगातार मानसिक प्रताड़ना और कानूनी डर के चलते SI ने अलग-अलग खातों में कुल 22 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। ठगों के निर्देशों का 17 दिन तक पालन करते रहे। जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ, तब जाकर उन्होंने गांधीनगर थाना में FIR दर्ज कराई।
जांच में जुटी पुलिस और साइबर सेल
मामले की गंभीरता को देखते हुए
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गांधीनगर पुलिस ने तुरंत जांच शुरू कर दी है।
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साइबर सेल की विशेषज्ञ टीम की भी मदद ली जा रही है।
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यह स्पष्ट हो गया है कि ठगों ने जानबूझकर डिजिटल गिरफ्तारी जैसा फर्जी टूल इस्तेमाल किया जिससे पीड़ित पर कानूनी दवाब बनाया जा सके।
पुलिस की चेतावनी और अपील
गांधीनगर थाना पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि—
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यदि कोई भी खुद को सरकारी अधिकारी या टेलीकॉम विभाग का प्रतिनिधि बताकर FIR, गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देता है, तो तुरंत पुलिस थाने या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
कभी भी किसी अनजान नंबर से मिली धमकी पर डरकर पैसे न भेजें।
निष्कर्ष:
यह मामला दर्शाता है कि साइबर अपराधी अब सुरक्षा बलों को भी निशाना बना रहे हैं। डिजिटल अपराध की दुनिया में फर्जी कॉल, मानसिक शोषण और डराकर पैसे ऐंठने जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। सतर्क रहें, जागरूक बनें और किसी भी डिजिटल ठगी से बचें।
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