Chhattisgarh News | Dhamtari Custodial Death Case:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने धमतरी जिले में पुलिस हिरासत में हुई आरोपी की मौत के मामले में राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने टिप्पणी की कि यह मामला “कस्टोडियल बर्बरता” का स्पष्ट उदाहरण है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट ने मृतक की पत्नी को 3 लाख रुपये और माता-पिता को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।
🔹 तीन घंटे में हुई थी मौत, शरीर पर 24 जख्मों के निशान
यह मामला धमतरी जिले के अर्जुनी थाने का है।
राजनांदगांव निवासी दुर्गेंद्र कठोलिया (41) को 29 मार्च 2025 को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
31 मार्च को शाम 5 बजे जब उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, तब वह पूरी तरह स्वस्थ था।
लेकिन सिर्फ तीन घंटे बाद, रात 8 बजे उसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर 24 चोटों के निशान मिले। रिपोर्ट में बताया गया कि उसकी मौत दम घुटने (asphyxia) से हुई, जिससे कार्डियो-रेस्पिरेटरी अरेस्ट हुआ।
🔹 परिजनों का आरोप — थर्ड डिग्री टॉर्चर से हुई मौत
मृतक की पत्नी दुर्गा देवी कठोलिया और माता-पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि पुलिस ने हिरासत में थर्ड डिग्री यातना दी।
उन्होंने बताया कि कोर्ट में पेशी के समय वह पूरी तरह ठीक था, लेकिन कुछ घंटों में उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने यह भी कहा कि पुलिस ने मौत की जानकारी छिपाने की कोशिश की और पहले बताया कि आरोपी बीमार है।
🔹 राज्य सरकार की दलील खारिज
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी और शरीर पर मिली चोटें “साधारण व पुरानी” थीं।
लेकिन कोर्ट ने यह तर्क खारिज कर कहा कि “सिर्फ तीन घंटे में किसी व्यक्ति का मर जाना असाधारण है। राज्य किसी भी हालत में जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।”
🔹 हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी — यह कस्टोडियल बर्बरता है

चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा —
“सभी सबूत बताते हैं कि मृतक की मौत पुलिस की यातना से हुई। यह कस्टोडियल बर्बरता का मामला है और जीवन के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।”
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के डी.के. बसु केस के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में मौतें राज्य की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
🔹 परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा, 8 हफ्ते में भुगतान का आदेश
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि:
मृतक की पत्नी दुर्गा देवी को ₹3 लाख
माता-पिता को ₹1-1 लाख
की राशि दी जाए।
भुगतान 8 हफ्तों के भीतर किया जाए, अन्यथा उस पर 9% वार्षिक ब्याज लगेगा।
साथ ही गृह विभाग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि आदेश का पालन हो।
🔹 मानवाधिकारों के सम्मान पर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा —
“राज्य को अपने पुलिसबल को मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा। हर हिरासत में मौत जनता के भरोसे को तोड़ती है। मुआवजा केवल राहत नहीं, बल्कि ऐसे अमानवीय कृत्यों की पुनरावृत्ति रोकने का माध्यम है।”
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