Conversion Amendment Bill In Winter Session
छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से 17 दिसंबर तक आयोजित होगा। चार दिवसीय इस सत्र में सबसे ज्यादा चर्चा धर्मांतरण संशोधन विधेयक को लेकर रहने की संभावना है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने पुष्टि की है कि यह विधेयक सत्र में पेश किया जाएगा।
गृहमंत्री का बयान
22 नवंबर को मीडिया से चर्चा के दौरान गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन के बाद धर्म परिवर्तन प्रक्रिया में कई नियम जोड़े जाएंगे, ताकि यह पूरी तरह पारदर्शी और नियंत्रित हो सके।
52 बैठकों के बाद तैयार हुआ ड्राफ्ट
धर्मांतरण संशोधन विधेयक के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए गृहमंत्री के नेतृत्व में 52 बैठकें आयोजित की गईं।
कमेटी के सदस्यों के मुताबिक:
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राज्य में धर्मांतरण को लेकर विवाद न बढ़े, इसलिए नया मसौदा बनाया गया।
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अब एक धर्म से दूसरे धर्म में जाना पूर्ण कानूनी प्रक्रिया पूरा करने के बाद ही संभव होगा।
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राज्य सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।
विधेयक में जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने पर कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल होगा।
क्यों जरूरी महसूस हुआ यह कानून?
अधिकारियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी इलाकों—जैसे बस्तर, जशपुर, रायगढ़—में धर्मांतरण विवादों को लेकर कई बार तनाव की स्थिति बनी है।
नारायणपुर क्षेत्र में यह मामला कई बार गुटीय संघर्ष का रूप भी ले चुका है।
धर्म परिवर्तन की मौजूदा प्रक्रिया में नियमों की कमी
वर्तमान में राज्य में धर्म परिवर्तन की वैधानिक प्रक्रिया पर स्पष्ट कानूनी दिशा-निर्देश नहीं हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग किसी धर्म की मान्यताओं को अपनाकर स्वयं को उस धर्म से जुड़ा घोषित कर देते हैं।
प्रस्तावित कानून के तहत—
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निर्धारित प्रक्रिया के बाहर किया गया धर्मांतरण वैध नहीं माना जाएगा।
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दबाव, लालच या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
गृह विभाग इस समय उन 9 राज्यों के एक्ट्स का अध्ययन कर रहा है, जिनमें ऐसे कानून पहले से लागू हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम क्या कहता है?
इस अधिनियम के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है। इस स्वतंत्रता को लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का अभ्यास करने और उसका पालन करने का अधिकार है।
छत्तीसगढ़ में चर्चों का इतिहास और आंकड़े
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राज्य में करीब 727 बड़े चर्च हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे चर्चों को मिलाकर यह संख्या 900 से ज्यादा बताई जाती है।
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सबसे पुराना चर्च 1868 में बने विश्रामपुर के ‘सिटी ऑफ रेस्ट’ चर्च को माना जाता है।
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जशपुर के कुनकुरी में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रोमन कैथोलिक कैथेड्रल स्थित है, जहां वर्षभर प्रार्थना और कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
