
EOW की बड़ी कार्रवाई: कांग्रेस नेताओं के 13 ठिकानों पर छापा, 19 लाख कैश और दस्तावेज जब्त
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में ACB और EOW की संयुक्त टीम ने कांग्रेस नेता कवासी लखमा और उनके करीबियों के 13 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा। शनिवार को रायपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, जगदलपुर और अंबिकापुर में अलग-अलग स्थानों पर दबिश दी गई, जिसमें जमीन सौदों से जुड़े कागजात, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक खातों की जानकारी और 19 लाख रुपए नकद बरामद किए गए।
रायपुर में कांग्रेस नेता जी नागेश और ठेकेदार कमलेश नाहटा के घर सुबह के वक्त कार्रवाई की गई। देवेंद्र नगर में पार्षद पद के उम्मीदवार श्रीनिवास राव के निवास पर भी छापा पड़ा। उनके भाई जी नागेश भी वहीं रहते हैं, जिन्हें लखमा का करीबी माना जाता है। इसी घोटाले में अब EOW को आबकारी विभाग के 30 अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति प्राप्त हो चुकी है।
श्रीनिवास राव ने बताया – टीम को पूरा सहयोग दिया
श्रीनिवास राव के अनुसार, सुबह 5:45 बजे के आसपास टीम उनके घर पहुंची थी। उनके छोटे भाई ने दरवाजा खोला, जिसके बाद अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई नागेश के नाम पर जारी वारंट के आधार पर की जा रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने जांच टीम का सम्मानपूर्वक स्वागत किया और सहयोग प्रदान किया।
श्रीनिवास राव ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका किसी भी प्रकार का गैरकानूनी कार्य से कोई लेना-देना नहीं है और वे निडर होकर जांच में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने सवाल किया कि क्या उनका आबकारी विभाग से किसी प्रकार का संबंध है। इस पर उन्होंने कहा कि उनका कवासी लखमा से केवल व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंध है, व्यावसायिक नहीं।
संपत्ति दस्तावेज, मोबाइल जब्त, परिवार के फोन अलग रखवाए
जांच के दौरान अधिकारियों ने वर्ष 2019 से 2023 तक की जमीन खरीद-बिक्री से जुड़े दस्तावेज मांगे। श्रीनिवास राव ने जानकारी दी कि उन्होंने अपनी पुरानी संपत्ति बेचकर नई जमीन ली थी, जिसके दस्तावेज अधिकारियों को सौंप दिए गए। उन्होंने बताया कि छापे के दौरान अधिकारियों ने सभी परिवारजनों के मोबाइल फोन अलग रखवा लिए और किसी भी मेडिकल समस्या के बारे में पहले से पूछताछ की।
कहा- “सांच को आंच नहीं”
श्रीनिवास राव ने कहा कि वे जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और सच्चाई पर भरोसा रखते हैं। कवासी लखमा के लिए निवेश किए जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि ये सब निराधार बातें हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का भय नहीं है क्योंकि वे खुद को निर्दोष मानते हैं।
EOW को 30 अधिकारियों पर कार्रवाई की मिली अनुमति
शराब घोटाले में आबकारी विभाग के कुल 30 अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन से हरी झंडी मिल गई है। EOW जल्द ही इनके खिलाफ कदम उठा सकती है। इनमें सहायक जिला आबकारी अधिकारी जनार्दन कौरव, उपायुक्त अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद पाटले, प्रमोद नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
चार्जशीट दाखिल होने की संभावना है, जिसमें मंजु केसर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, अशोक सिंह, मोहित जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर और अन्य के नाम हैं।
छापेमारी किन-किन पर हुई
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रायपुर: कांग्रेस नेता जी नागेश और ठेकेदार कमलेश नाहटा
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जगदलपुर: कंप्यूटर व्यवसायी प्रेम मिगलानी
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दंतेवाड़ा: कांग्रेस नेता राजकुमार तामो
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सुकमा: योग आयोग के पूर्व सदस्य राजेश नारा, हार्डवेयर व्यापारी अनीश बोथरा, पेट्रोल पंप संचालक जयदीप भदौरिया, पूर्व मंत्री लखमा के ड्राइवर शेख बशीर और बशीर अहमद
शराब घोटाले की पृष्ठभूमि
इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। ईडी ने ACB को FIR दर्ज करने की जानकारी दी थी, जिसमें 2000 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की आशंका जताई गई। जांच के अनुसार, इस घोटाले को अनिल टुटेजा, A.P. त्रिपाठी और अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले सिंडिकेट द्वारा अंजाम दिया गया था।
FIR के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच राज्य की शराब दुकानों पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब बेची गई, जिससे सरकार को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।
ED के आरोप – लखमा का सिंडिकेट में बड़ा रोल
ED के अनुसार, पूर्व मंत्री और विधायक कवासी लखमा इस सिंडिकेट के अहम सदस्य थे। शराब नीति में बदलाव और FL-10 लाइसेंस की शुरुआत में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। ED का आरोप है कि लखमा को विभाग की अनियमितताओं की जानकारी थी लेकिन उन्होंने कोई रोकथाम नहीं की।
ED का दावा – कमीशन से बना बेटे का घर और कांग्रेस भवन
ED के वकील सौरभ पांडे ने अदालत में बताया कि लखमा को हर महीने 2 करोड़ की अवैध राशि मिलती थी। तीन वर्षों में यह रकम 72 करोड़ पहुंची, जिससे उनके बेटे हरीश कवासी का घर और कांग्रेस भवन, सुकमा का निर्माण किया गया।
शराब घोटाले से सरकार को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और कथित तौर पर करीब 2100 करोड़ रुपए की अवैध कमाई की गई।
ED की जांच में घोटाले का मॉडल
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पार्ट-A कमीशन: राज्य निगम द्वारा खरीदी गई शराब पर डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई।
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पार्ट-B बिक्री: अवैध देसी शराब की बिक्री की गई, जिसकी आमदनी सीधे सिंडिकेट के पास गई।
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पार्ट-C कार्टेल कमीशन: FL-10 A लाइसेंस धारकों से रिश्वत लेकर विदेशी शराब बाजार में पहुंचाई गई।
FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 यानी “Foreign Liquor-10” लाइसेंस, जिसे राज्य सरकार विदेशी शराब की खरीद के लिए जारी करती है। ये कंपनियाँ शराब निर्माताओं से खरीद कर सरकार को आपूर्ति करती हैं। इनके पास भंडारण और ट्रांसपोर्ट की भी जिम्मेदारी होती है, हालांकि इस कार्य को बेवरेज कॉर्पोरेशन ने संभाला।
इस लाइसेंस के दो प्रकार होते हैं:
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FL-10A: अन्य राज्यों के निर्माताओं से शराब खरीदकर विभाग को बेचना
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FL-10B: राज्य के निर्माताओं से शराब खरीदकर विभाग को बेचना
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