Chhattisgarh DJ noise law -हाईकोर्ट की सख्ती – DJ शोर पर नया कानून लागू करने के निर्देश
छत्तीसगढ़ में DJ और साउंड सिस्टम के शोर को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। बलरामपुर जिले में गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान 15 वर्षीय बच्चे की मौत के मामले में कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई।
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया – प्रतिबंध के बावजूद इतनी तेज आवाज में DJ कैसे बज रहा था और अब तक किसकी जिम्मेदारी तय हुई है?
बलरामपुर घटना से जुड़े सवाल
घटना के दौरान 15 वर्षीय प्रवीण गुप्ता DJ की तेज आवाज पर नाचते हुए अचानक गिर पड़ा। सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
कोर्ट ने इस घटना पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से कानून की अवहेलना और लोगों की जान से खिलवाड़ है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
-
कोर्ट ने पाया कि बलरामपुर जिले में DJ पर रोक ही नहीं लगाई गई थी।
-
पुलिस सिर्फ 500 से 1000 रुपए जुर्माना लगाकर छोड़ देती है।
-
उपकरण जब्त करने और ठोस कार्रवाई की कमी पर कोर्ट ने नाराजगी जताई।
सरकार ने माना – मौजूदा कानून कमजोर
राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि मौजूदा कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में कमियां हैं। इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर 27 जनवरी 2025 को एक समिति गठित की गई थी।
-
समिति ने 13 अगस्त 2025 को अपनी रिपोर्ट दी।
-
कानून विभाग और पर्यावरण संरक्षण मंडल ने संशोधनों की सिफारिश पर सहमति जताई।
-
अब यह प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट और स्वास्थ्य पर असर
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर बताया कि:
-
शोर का मानक 50 डेसिबल है।
-
त्योहारों के दौरान DJ की आवाज 95 से 110 डेसिबल तक रिकॉर्ड हुई।
-
इससे सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और मानसिक तनाव बढ़ता है।
कोर्ट का रुख और निर्देश
-
कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति जनजीवन और सेहत दोनों के लिए खतरा है।
-
ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण और विनियमन) नियम, 2000 को राज्य कानून से अधिक कठोर बताते हुए इसके अनुरूप संशोधन करने पर जोर दिया।
-
कोर्ट ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया और कहा कि नए प्रावधान लागू करने में और देरी उचित नहीं।
