
Chhattisgarh Dharma Parivartan Law : अब 60 दिन पहले देनी होगी सूचना, कानून उल्लंघन पर होगी जेल
रायपुर | 3 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) कानून लागू करने जा रही है, जिससे राज्य में जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन को रोका जा सकेगा। प्रस्तावित कानून के तहत, अब किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले प्रशासन को सूचना देना अनिवार्य होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
धार्मिक स्वतंत्रता कानून की पृष्ठभूमि
बस्तर, जशपुर और रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में धर्मांतरण को लेकर लगातार विवाद हो रहे हैं। कई बार ये विवाद गुटीय संघर्ष और हिंसा में बदल चुके हैं। इसी के चलते सरकार ने एक सख्त कानून लाने की तैयारी की है, जिससे कानून व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक समरसता को बचाया जा सके।
ऐसे बना है ड्राफ्ट कानून: 9 राज्यों की स्टडी, 52 बैठकों के बाद तैयार मसौदा
गृह मंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में तैयार किए गए इस कानून का ड्राफ्ट ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित 9 राज्यों के एक्ट्स की स्टडी के आधार पर बना है। अब तक 52 बैठकों के बाद बने 5 पेज के मसौदे में 17 महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया है।
क्या है कानून में खास? पढ़िए प्रमुख प्रावधान
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धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य
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प्रलोभन, दबाव या धोखे से कराए गए धर्म परिवर्तन पर जेल और जुर्माना
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धर्मांतरण करने और कराने वालों दोनों पर कार्रवाई
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धर्मांतरण का उल्लंघन गैर-जमानती अपराध
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प्रशासन से अनुमति और जांच की प्रक्रिया अनिवार्य
धर्म परिवर्तन के चर्चित केस: आत्महत्या के मामलों ने बढ़ाई चिंता
केस 1: धमतरी में युवक ने धर्मांतरण के दबाव में की आत्महत्या
7 दिसंबर 2024: धमतरी के पाटियाडीह गांव में रहने वाले लीनेश साहू (30) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उसने अपने वॉट्सऐप स्टेटस में लिखा –
“पत्नी, सास-ससुर और साली धर्म बदलने का दबाव डाल रहे हैं, अब सहन नहीं हो रहा…”
केस 2: बालोद में युवक ने की खुदकुशी
20 दिसंबर 2024: बालोद जिले के अर्जुंदा थाना क्षेत्र के निवासी गजेंद्र उर्फ सूरज देवांगन (35) ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सूरज ने बताया था कि उसकी पत्नी ने ईसाई धर्म अपना लिया है और वह भी उसे धर्म बदलने का दबाव दे रही है।
अभी तक धर्मांतरण को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं था
छत्तीसगढ़ में अभी तक धर्मांतरण को वैधानिक रूप से नियंत्रित करने वाला कोई स्पष्ट कानून नहीं है। इस कमी की वजह से लोग किसी भी धर्म में प्रवेश कर लेते हैं, जिससे सामाजिक टकराव और अव्यवस्था उत्पन्न होती है। नया कानून इसी कानूनी खामी को दूर करेगा।
गृह मंत्रालय की पुष्टि: शीतकालीन सत्र में होगा कानून लागू
गृह मंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया है कि यह कानून विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सार्वजनिक कर पास किया जाएगा। इसे राज्य में धार्मिक स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से लाया जा रहा है।
नए कानून की आवश्यकता क्यों?
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आदिवासी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन की शिकायतें।
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गुटीय संघर्ष और सामाजिक विभाजन की घटनाएं बढ़ रही हैं।
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राज्य में कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की चुनौती।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित धार्मिक स्वतंत्रता कानून सिर्फ धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना की रक्षा का प्रयास भी है। इसके लागू होने के बाद, बिना प्रक्रिया के धर्मांतरण अवैध माना जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।