
बोरे-बासी दिवस 2025-छत्तीसगढ़ में आज, 1 मई को कांग्रेस पार्टी ‘बोरे-बासी दिवस’ के रूप में मजदूर दिवस मना रही है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से आग्रह किया है कि वे पारंपरिक छत्तीसगढ़ी भोजन बोरे-बासी का सेवन करें और उसकी फोटो या वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।
इस परंपरा की शुरुआत पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के समय हुई थी, जब मंत्रियों से लेकर कलेक्टर, IAS और IPS अधिकारियों तक ने बोरे-बासी खाते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं।
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस सरकार के बाद बनी भाजपा सरकार के दौरान भी, पिछले वर्ष मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बोरे-बासी खाकर मजदूर दिवस की शुभकामनाएं दी थीं। उन्होंने रायपुर में श्रमिकों को सम्मानित भी किया था। हालांकि इस बार उनके आधिकारिक कार्यक्रमों में बोरे-बासी दिवस से संबंधित कोई गतिविधि या जानकारी सामने नहीं आई है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से न तो बोरे-बासी खाने का जिक्र हुआ है और न ही किसी आयोजन की सूचना दी गई है।

भूपेश सरकार के दौरान सोशल मीडिया ट्रेंड बना था बोरे-बासी दिवस
बोरे-बासी दिवस की परंपरा वर्ष 2020 के बाद उस समय शुरू हुई जब भूपेश बघेल सरकार ने इसे राज्य स्तर पर एक विशेष दिवस के रूप में मनाना आरंभ किया। यह एक व्यापक सोशल मीडिया अभियान के रूप में उभरा, जिसने बोरे-बासी को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान से जोड़ दिया।
इस अभियान के तहत न केवल मंत्री और विधायक बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों—कलेक्टर, IAS और IPS अफसरों—ने भी अपनी तस्वीरें बोरे-बासी खाते हुए साझा की थीं। इस पहल को मजदूर वर्ग के भोजन के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
कांग्रेस इसे बना रही है सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक
छत्तीसगढ़ कांग्रेस अब बोरे-बासी दिवस को राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता और स्थानीय जीवनशैली से जोड़ रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि बोरे-बासी केवल भोजन नहीं, बल्कि मेहनतकश समुदाय की मेहनत और जीवन के संघर्षों का प्रतीक है। इसी कारण हर वर्ष 1 मई को इसे विशेष रूप से याद किया जाता है।
कांग्रेस का दावा है कि यह अब केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि प्रदेश की मिट्टी और संस्कृति से जुड़ी यह परंपरा लोगों की निजी पहचानों का हिस्सा बन चुकी है।