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CG Land scam: कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेताओं पर जमीन घोटाले का आरोप, कोर्ट के आदेश पर दर्ज होगा केस
अंबिकापुर, 23 जून 2025।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा भूचाल तब आया जब अंबिकापुर से सामने आए एक मामले में कांग्रेस के जिला महामंत्री राजीव अग्रवाल और भाजपा के जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ करोड़ों की जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगा है। मामले की सुनवाई कर रही सीजेएम कोर्ट, अंबिकापुर ने थाना प्रभारी को दो सप्ताह में FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का सख्त निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
भगवानपुर निवासी चंद्रमणी कुशवाहा और भैयाथान निवासी कलावती कुशवाहा, दोनों अनपढ़ गृहिणियां हैं, जिन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि उन्होंने अपनी 2.870 हेक्टेयर की पैतृक भूमि के नामांतरण और बंटवारे के लिए वकील दिनेश कुमार सिंह से संपर्क किया। भाइयों से विवाद के कारण प्रक्रिया जटिल थी। इसी दौरान वकील ने विश्वास में लेकर उन्हें सलाह दी कि जमीन किसी प्रभावशाली व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर करवा दी जाए।
इस आधार पर वर्ष 2016 में कांग्रेस नेता राजीव अग्रवाल के नाम पर 1.75 करोड़ रुपये में एग्रीमेंट कराया गया, जिसमें से केवल 50 हजार रुपये नकद दिए गए और बाकी राशि कभी भी भुगतान नहीं की गई।
साजिशन हड़पी गई करोड़ों की जमीन?
जांच में सामने आया कि कुछ समय बाद, उक्त जमीन के दो प्लॉट भाजपा नेता भारत सिंह सिसोदिया और उनके सहयोगियों ने सिर्फ 11.5 लाख रुपये में खरीद लिए। बहनों को कुल मिलाकर सिर्फ 40 लाख रुपये ही मिले। अदालत ने इसे सुनियोजित षड्यंत्र बताते हुए संगठित धोखाधड़ी का मामला माना है।
किन लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश?
कोर्ट ने इन 7 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने और जांच के निर्देश दिए हैं:
- राजीव अग्रवाल (कांग्रेस जिला महामंत्री)
- भारत सिंह सिसोदिया (भाजपा जिलाध्यक्ष)
- एडवोकेट दिनेश कुमार सिंह
- नीरज प्रकाश पांडेय
- रविकांत सिंह
- राजेश सिंह
- नीलेश सिंह
इन सभी पर भूमि सौदे में फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी, और षड्यंत्र के तहत कार्यवाही का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने इसे ग्रामीण महिलाओं के साथ गहरी साजिश और राजनैतिक प्रभाव का दुरुपयोग बताया है।
क्या कहती है अदालत?
सीजेएम कोर्ट ने माना है कि यह मामला सिर्फ एक सामान्य जमीन सौदे का नहीं, बल्कि एक राजनैतिक-प्रभावित संगठित ठगी का है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में समय पर कार्रवाई न होने से आम नागरिकों का न्याय प्रणाली से विश्वास उठ सकता है।
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