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छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदी थी, लेकिन अब नीलामी में दरें इतनी गिर गई हैं कि बोली 2000 रुपए तक आ रही है। इसका मतलब है कि सरकार को हर क्विंटल पर करीब 1000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार तो त्रिपल इंजन वाली है, लेकिन असल में दिल्ली में इस सरकार का कोई असर नहीं है। बघेल का कहना था कि अगर केंद्र सरकार पूरा धान का चावल उठाती तो नीलामी की स्थिति नहीं बनती, और राज्य को यह घाटा भी नहीं उठाना पड़ता।
कांग्रेस द्वारा उठाए गए आरोपों पर बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रभारी और पार्टी प्रवक्ता संदीप शर्मा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में किसानों की मेहनत को झूठे आरोपों से घेरने का काम किया गया था, और अब वही कांग्रेस बीजेपी सरकार की धान खरीदी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है, जो बेहद हास्यास्पद है।
नीलामी की प्रक्रिया और घाटे का कारण:
वहीं, डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा, “सरकार ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपए की दर से खरीदी है। जरूरत के बाद जो धान बचता है, उसकी नीलामी की जा रही है।” उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में किसानों के साथ अत्याचार हुआ, जबकि अब छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जा रही है।
राज्य में इस बार धान की नीलामी सरकार के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। इसका मुख्य कारण केंद्र से चावल का कोटा बढ़ाए जाने में असफलता है। धान खरीदी का सीजन समाप्त हो चुका है, लेकिन अतिरिक्त स्टॉक के चलते सरकार को नीलामी करनी पड़ रही है।
इस बार की नीलामी में कीमतें कम मिल रही हैं, जिससे सरकार को एक क्विंटल पर करीब 1000 रुपए तक का नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकांश राइस मिलर्स मंडी के मौजूदा रेट्स के हिसाब से ही बोली लगा रहे हैं। कुछ मिलर्स ने यह भी कहा कि ऑनलाइन नीलामी में धान की गुणवत्ता का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, इसलिए वे जोखिम से बचने के लिए कम दाम की बोली लगा रहे हैं।
हालांकि, मिलर्स को सैंपल देने की सुविधा दी गई है, लेकिन गर्मी के मौसम में धान की नमी घटने लगती है, जिससे चावल टूटने का खतरा रहता है। यही कारण है कि खरीदार कम दाम पर सौदा कर रहे हैं।
नीलामी में संभावित बदलाव:
राज्य सरकार ने धान नीलामी के लिए बेस रेट 1900 से 2100 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। हालांकि, जिलों को अभी तक इसके बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। मुख्यालय से आदेश आने के बाद ही आगे की प्रक्रिया तय होगी। अगर बोली 1900 से नीचे आती है, तो फिर से टेंडर निकाला जाएगा या मार्कफेड मुख्यालय के आदेश से निर्णय लिया जाएगा।
भूपेश बघेल का केंद्र सरकार पर हमला:
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, “यह त्रिपल इंजन की सरकार कहने भर की है। दिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार का कुछ नहीं चलता।” बघेल ने चेतावनी दी कि अगर इसी तरह राज्य को नुकसान होता रहा, तो भविष्य में धान खरीदी की पूरी व्यवस्था संकट में पड़ सकती है।