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Budaun Mortuary Negligence-बदायूं में लापरवाही की हद: मोर्चरी में सड़ता रहा शव, कीड़े लगने पर जागे अस्पताल और पुलिस कर्मी | सिस्टम पर उठे सवाल
Budaun Mortuary Negligence News: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। एक युवक की मौत के बाद उसका शव मोर्चरी में पांच दिनों तक रखा रहा, लेकिन किसी ने उसे उठाने की सुध नहीं ली। जब शव से बदबू आने लगी और कीड़े लग गए, तब जाकर अस्पताल और पुलिस महकमे की नींद टूटी।
पूरा मामला: अस्पताल में भर्ती रहा, फिर लाश भी भुला दी गई
यह मामला सदर कोतवाली थाना क्षेत्र का है। यहां के निवासी राजीव कुमार सिंह, जो लगभग एक महीने पहले घर से निकले थे, लापता हो गए थे। 10 जून को वजीरगंज पुलिस ने उन्हें गंभीर हालत में पाया और जिला अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल रिकॉर्ड में पता गुराई बदरपुर दर्ज किया गया, लेकिन पुलिस ने परिजनों को सूचना देने की जहमत नहीं उठाई।
राजीव ने इलाज के दौरान 15 दिन अस्पताल में रहकर जान गंवा दी, लेकिन फिर भी न अस्पताल और न पुलिस ने परिजनों को खबर दी।
फ्रीजर में पड़ा रहा शव, लापरवाही का शर्मनाक चेहरा
राजीव की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को मोर्चरी के फ्रीजर में रखवा दिया, लेकिन कोई पुलिसकर्मी या जिम्मेदार अधिकारी मेमो पर ध्यान देने नहीं पहुंचे। 5 दिन तक फ्रीजर में बंद रहा शव धीरे-धीरे सड़ने लगा और जब बदबू फैली, तब अधिकारियों की आंख खुली। मोर्चरी में कीड़े लगने के बाद शव पर ध्यान गया और परिजनों को सूचना दी गई।
परिजनों का फूटा गुस्सा, लापरवाही पर गंभीर आरोप
जब राजीव के परिवार वाले मोर्चरी पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि शव की हालत बेहद खराब हो चुकी है और उसमें कीड़े लग चुके हैं। इससे आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और पुलिस विभाग पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया।
परिजनों का कहना है कि यह पहली बार नहीं हुआ है, जून महीने में ही ऐसा एक और मामला सामने आया था, लेकिन तब भी किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
कब सुधरेगा सिस्टम?
इस पूरे घटनाक्रम ने यूपी के स्वास्थ्य और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने का दावा करती है, वहीं ऐसी घटनाएं सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करती हैं।
निष्कर्ष:
बदायूं की यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत दुखद हादसा है, बल्कि सार्वजनिक सेवाओं की असंवेदनशीलता और लापरवाही का बड़ा उदाहरण भी है। अब सवाल यह है कि क्या ऐसे मामलों में कोई जवाबदेही तय होगी? या फिर यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा?
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