
Boycott Turkey: JNU ने तुर्किये विश्वविद्यालय के साथ समझौता किया स्थगित, कहा – राष्ट्रहित सर्वोपरि
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को सैन्य उपकरण उपलब्ध कराए जाने पर देशभर में विरोध की लहर उठी है। तुर्किये की इस कार्रवाई को भारत विरोधी रुख के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके चलते सोशल मीडिया से लेकर शैक्षणिक और राजनीतिक हलकों में तुर्किये के बहिष्कार की मांग तेज हो गई है। इसी क्रम में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने भी एक अहम कदम उठाया है।
जेएनयू प्रशासन ने तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किए गए शैक्षणिक समझौते को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया है। यह समझौता दोनों संस्थानों के बीच तीन वर्ष की अवधि के लिए हुआ था, जिसका उद्देश्य क्रॉस-कल्चरल शोध और छात्र सहयोग को बढ़ावा देना था।

सुरक्षा कारणों से लिया गया निर्णय
जेएनयू द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। बयान के अनुसार, “राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से जेएनयू और तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) को अगले आदेश तक निलंबित किया गया है।”
बताया गया कि इस MoU के तहत फैकल्टी एक्सचेंज, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, और अन्य अकादमिक सहयोग की योजनाएं थीं। यह समझौता 3 फरवरी को तीन वर्षों के लिए हस्ताक्षरित हुआ था, लेकिन अब इसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।
भारत-पाक संघर्ष और तुर्किये की भूमिका
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए तनाव के दौरान, तुर्किये ने पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए उसे सैन्य सहायता प्रदान की थी। चार दिनों तक चले सीमा पार ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद, भारत और पाकिस्तान ने 10 मई को संघर्ष विराम का समझौता किया, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में तुर्किये की भूमिका को भारत विरोधी बताया जा रहा है।
भारतीय रणनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, तुर्किये ने भारत द्वारा आतंकवाद पर की गई कार्रवाई की आलोचना कर पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हुए हमलों की निंदा की थी। इसके बाद से भारत और तुर्किये के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में तनाव की आशंका जताई जा रही है।
तुर्किये के बहिष्कार की मांग तेज
तुर्किये की पाकिस्तान को दी गई सैन्य सहायता के बाद, देशभर में तुर्की उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार करने की मांग जोर पकड़ रही है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों जैसे EaseMyTrip और Ixigo ने भी तुर्किये की यात्रा के विरुद्ध सुझाव जारी किए हैं।
यह कदम JNU की ओर से यह संदेश देता है कि राष्ट्रीय हित और सुरक्षा सर्वोपरि हैं, और किसी भी विदेशी संस्था के साथ संबंध उसी आधार पर निर्धारित किए जाएंगे।