
Bore Basi Divas Investigation
Bore Basi Divas Investigation -छत्तीसगढ़ में ‘बोरे-बासी दिवस’ आयोजन की होगी जांच, 5 घंटे में खर्च हुए 8 करोड़
छत्तीसगढ़ की विधानसभा में शुक्रवार को ‘बोरे-बासी दिवस’ पर हुए भारी खर्च को लेकर बड़ा ऐलान किया गया। सरकार ने बताया कि कांग्रेस शासनकाल में 1 मई 2023 को आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 8 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे और अब इस पूरे मामले की जांच के लिए विधायकों की एक समिति गठित की जाएगी।
कार्यक्रम को लेकर खर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद यह मामला सदन में गूंजा। भाजपा विधायक राजेश मूणत ने इसे लेकर ध्यानाकर्षण सूचना पेश की, जिसमें बताया गया कि आयोजन बिना किसी निविदा प्रक्रिया के किया गया और भारी वित्तीय अनियमितता हुई।
भाजपा विधायक ने लगाए गंभीर आरोप
राजेश मूणत ने आरटीआई के तहत मिले दस्तावेजों के आधार पर दावा किया कि सिर्फ रायपुर में बोरे-बासी खिलाने पर 8 करोड़ से ज्यादा खर्च किया गया, और वह भी बिना सरकारी निविदा प्रक्रिया अपनाए।
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2020 में 3 करोड़ का कार्य ‘शुभम किराया भंडार’ से कराया गया।
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2023 में 8.32 करोड़ की व्यवस्था ‘व्यापक इंटरप्राइजेज’ से करवाई गई।
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2024 में फिर बिना निविदा के करीब 3 करोड़ का काम इसी संस्था से हुआ।
5 घंटे के कार्यक्रम में 8.14 करोड़ रुपए खर्च
विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, 1 मई 2023 को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में श्रमिकों के लिए 5 घंटे का एक भव्य आयोजन हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार:
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50 हजार मजदूरों के लिए व्यवस्था की गई।
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35 हजार कुर्सियां, 6 विशाल डोम, 1.10 करोड़ रुपए की लागत।
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75 लाख का भोजन, 27 लाख का पानी, 80 लाख की टोपी वितरण।
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150 मेहमानों को 10 हजार रुपये मूल्य के मोमेंटो, जिसकी वास्तविक लागत 4 हजार थी।
हकीकत कुछ और निकली
सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से यह सामने आया कि:
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मजदूरों की संख्या 15 हजार से अधिक नहीं थी।
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पानी की बोतल 5 की जगह 18 रुपए में खरीदी गई।
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6 की बजाय 4 डोम ही बनाए गए।
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कुर्सियों की संख्या केवल 10 से 12 हजार रही।
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खर्च को कई गुना बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया।
बोरे-बासी दिवस क्या है?
‘बोरे-बासी’ छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और श्रमिक वर्ग का पारंपरिक भोजन है, जिसमें पके चावल को पानी में भिगोकर अगली सुबह खाया जाता है। इसे ‘बासी’ कहा जाता है।
2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद, इसे श्रमिकों को सम्मान देने के लिए 1 मई मजदूर दिवस पर राज्यस्तरीय पर्व के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई थी।
राज्य के मंत्री, अधिकारी और आम जनता इस दिन पंगत में बैठकर बोरे-बासी खाते दिखाई देते थे।
सरकार बदली, आयोजन बंद हुआ
2023 के बाद कांग्रेस सरकार के पतन और नई सरकार के गठन के बाद यह आयोजन बंद कर दिया गया। अब वर्तमान सरकार ने इस आयोजन से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराने का निर्णय लिया है।
निष्कर्ष: क्या थी परंपरा, क्या बन गया सवाल
‘बोरे-बासी दिवस’ एक लोक परंपरा को सम्मान देने का प्रतीक था, लेकिन अब यह कार्यक्रम आर्थिक अनियमितताओं का केंद्र बन गया है। जांच समिति द्वारा होने वाली छानबीन से यह स्पष्ट हो सकेगा कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ या नहीं।
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