
गरियाबंद में नेशनल हाईवे निर्माण बना बर्बादी की वजह, करोड़ों के विकास कार्य संकट में
Gariaband News | Chhattisgarh News
गरियाबंद में राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की प्रक्रिया अब शहर में पूर्व में किए गए कई महंगे निर्माण कार्यों के लिए विनाशकारी साबित हो रही है। करोड़ों रुपये की लागत से किए गए इन विकास कार्यों पर अब संकट मंडरा रहा है। इनमें स्ट्रीट लाइट पोल, पेयजल पाइपलाइन और एक सुसज्जित फव्वारा गार्डन जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शामिल हैं।
नगर पालिका गरियाबंद का पिछला कार्यकाल अब शहर के लिए एक सीख का विषय बनता जा रहा है। बीते पांच वर्षों में जिन निर्माण कार्यों पर भारी राशि खर्च की गई, अब वे ही NH निर्माण के चलते नष्ट होने की कगार पर हैं। चिंताजनक बात यह है कि इन योजनाओं की कोई दीर्घकालिक योजना नहीं बनाई गई थी। परिणामस्वरूप, अब केवल विपक्षी कांग्रेस ही नहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर भी इन योजनाओं को लेकर असंतोष सामने आने लगा है।
NH-130C निगल रहा है नगर के पुराने निर्माण
मजरकट्टा से सर्किट हाउस तक बन रहे NH-130C फोरलेन सड़क की 24 मीटर चौड़ाई अब पुराने निर्माणों को अपनी जद में ले रही है। करीब डेढ़ साल पहले लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए 580 स्ट्रीट लाइट पोल में से 280 पहले ही बंद हो चुके हैं। कलेक्ट्रेट से पीएचई विभाग तक की पूरी लाइटें बंद हैं। अब ये सभी पोल फोरलेन के दायरे में आ गए हैं, जिन्हें हटाना नगरपालिका के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पाइपलाइन पर भी संकट
इसी क्षेत्र में करीब 4 करोड़ रुपये की लागत से बिछाई गई पेयजल पाइपलाइन भी अब फोरलेन सड़क की जद में आ चुकी है। नगर पालिका के सीएमओ का कहना है कि इसका पुनर्निर्माण नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) द्वारा किया जाएगा। हालांकि जानकारों का मानना है कि यदि इस पाइपलाइन को 12 मीटर के दायरे से बाहर रखा गया होता, तो यह बर्बादी टाली जा सकती थी। विभागीय अधिकारियों द्वारा पहले ही चेतावनी दी गई थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया।
फव्वारा गार्डन भी नहीं बच सका
पीएचसी कार्यालय के पास करीब 35 लाख रुपये की लागत से दो वर्ष पूर्व निर्मित फव्वारा गार्डन भी अब नेशनल हाईवे निर्माण की जद में आ गया है। उस समय कांग्रेस ने इस गार्डन के निर्माण को मनमानी बताते हुए विरोध दर्ज कराया था और मामले को प्रभारी मंत्री तक पहुंचाया गया था। बावजूद इसके, सत्ता में लौटने की खुशी में यह गार्डन बना, जो अब दो वर्षों में ही हटाने की नौबत में आ गया है।
नगर योजना पर उठते सवाल
कुल मिलाकर, 5 से 7 करोड़ रुपये के विकास कार्य अब बर्बादी की कगार पर हैं और शहरवासियों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। कांग्रेस ने इसे प्रशासनिक लापरवाही बताया है, वहीं भाजपा के अंदर से भी अब असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं।
अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है—क्या नगर की विकास योजनाएं केवल कार्यकाल की उपलब्धि दिखाने के लिए होती हैं, या फिर वास्तव में शहर के दीर्घकालिक विकास को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं?
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Source – NDTV CG&MP