
Bharatmala Scam -2 सुसाइड नोट लिखकर फंदे पर झूले सस्पेंड पटवारी: कहा – ‘मैं बेगुनाह हूं’, RI व कोटवार समेत तीन लोगों पर लगाए गंभीर आरोप
बिलासपुर: बहुचर्चित भारतमाला परियोजना फर्जीवाड़े में निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा (62) ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। उनकी लाश सकरी थाना क्षेत्र के जोकी गांव में बहन सरस्वती दुबे के फार्महाउस में फंदे से लटकी मिली। बताया गया है कि मिश्रा 30 जून को रिटायर होने वाले थे, लेकिन कुछ दिन पहले ही निलंबन के बाद से वे गहरे तनाव में थे।
सुसाइड से पहले दो नोट लिखे, जिनमें बेगुनाही का दावा

मौत से पहले सुरेश मिश्रा ने दो सुसाइड नोट लिखे, जिनमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और आरोप लगाया कि उन्हें षड्यंत्रपूर्वक फंसाया गया है। उन्होंने RI, कोटवार और एक अन्य व्यक्ति का नाम इसमें उल्लेख किया है। मामले की जांच सकरी पुलिस द्वारा की जा रही है और सुसाइड नोट को सबूत के तौर पर जब्त कर लिया गया है।
कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम?
घटना दोपहर 1 बजे के आसपास की है। फार्महाउस का कमरा भीतर से बंद था और मिश्रा की लाश पंखे से लटकी मिली। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। SP रजनेश सिंह ने बताया कि सुसाइड नोट की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट फर्जीवाड़ा मामला?

भारतमाला परियोजना के तहत बिलासपुर-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था। जांच में पाया गया कि ढेका गांव में अधिग्रहण के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुआवजा जारी किया गया, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ।
जिला स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट में तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा की भूमिका संदिग्ध पाई गई। आरोप है कि अभिलेखों में कूटरचना कर कुछ नामों को अवैध रूप से जोड़ा गया, जिससे वास्तविक से अधिक मुआवजा जारी हुआ।
FIR और निलंबन के बाद तनाव में आए मिश्रा

25 जून को तोरवा थाने में सुरेश मिश्रा और पूर्व तहसीलदार डीके उइके के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी। इसके कुछ ही दिन बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई के बाद से वे लगातार मानसिक तनाव में थे।
नौकरीपेशा लोगों की आत्महत्या: आंकड़े और कारण
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार:
2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की।
पिछले 10 वर्षों में 1 लाख से अधिक छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या दर: 25.6%
नौकरीपेशा लोगों की दर: 9.7%
बेरोजगारों की दर: 8.4%
आत्महत्या के प्रमुख कारण:
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करियर असुरक्षा: प्रमोशन न मिलना, ट्रांसफर, छंटनी जैसे कारण।
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वित्तीय दबाव: EMI, बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा खर्च आदि।
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मानसिक उत्पीड़न: बॉस या सहकर्मियों द्वारा अपमान या राजनीति।
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वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी: लगातार ओवरटाइम और थकान।
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न्याय न मिलना: ईमानदार होने पर भी सस्पेंशन या कार्रवाई।
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मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी
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सेवानिवृत्ति के बाद पहचान का संकट
सरकारी कर्मचारियों के लिए 10 जरूरी सुझाव
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मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें
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वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखें
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विश्वसनीय लोगों से बात करें
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सिस्टम से डरें नहीं, विकल्प तलाशें
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रिटायरमेंट या सस्पेंशन को अंत न समझें
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फाइनेंशियल प्लानिंग करें
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सोशल मीडिया से दूरी रखें
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ईमानदारी के साथ आत्म-स्वीकृति भी रखें
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HR और संस्थानों को मेंटल हेल्थ फ्रेंडली बनाएं
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सोच बदलें – “मैं ही क्यों?” नहीं, “मैं क्यों नहीं?” सोचें
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