
BEO Suspend की कार्रवाई: गीदम विकासखंड के शिक्षा अधिकारी पर गिरी गाज
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने एक और सख्त कदम उठाया है। दंतेवाड़ा ज़िले के गीदम विकासखंड शिक्षा अधिकारी शेख रफीक को सेवा से निलंबित कर दिया गया है। युक्तियुक्तकरण में नियमों की अनदेखी और गंभीर लापरवाही के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है।
सूत्रों के अनुसार, युक्तियुक्तकरण के दौरान विकासखंड के कई आश्रम शालाओं और स्कूलों में रिक्त पदों को जानबूझकर प्रक्रिया से बाहर रखा गया। इसके चलते 31 आश्रम शालाओं में शिक्षक पदों की युक्तियुक्तकरण में गणना नहीं हो पाई।
काउंसलिंग में अनियमितता और सीनियरिटी में छेड़छाड़
आरोप यह भी है कि गीदम विकासखंड के 20 शिक्षकों को दूसरे संस्थानों में स्थानांतरित होना पड़ा, क्योंकि उन्हें सही विकल्प ही नहीं दिए गए। इसके साथ ही युक्तियुक्तकरण के लिए निर्धारित सीनियरिटी क्रम में भी मनमाने ढंग से बदलाव किया गया।
इसके अतिरिक्त, जिन आश्रम अधीक्षकों को ‘अतिशेष’ की श्रेणी से बाहर रखा जाना था, उन्हें भी प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया, जो शासन के स्पष्ट निर्देशों का उल्लंघन है।
विशिष्ट और दिव्यांग कर्मचारियों की अनदेखी
युक्तियुक्तकरण नियमों के अनुसार, विशिष्ट संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों और दिव्यांग कर्मचारियों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाना चाहिए था। लेकिन इसके विपरीत दृष्टिबाधित शिक्षक राजकुमार जैन को अतिशेष सूची में सम्मिलित कर लिया गया।
यह लापरवाही इतनी गंभीर मानी गई कि शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से शेख रफीक को निलंबित कर दिया। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, दंतेवाड़ा निर्धारित किया गया है।
शिक्षा विभाग की सख्ती
शिक्षा विभाग की ओर से लगातार यह स्पष्ट किया जा रहा है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे पहले भी बस्तर संभाग में कई बीईओ पर कार्रवाई की जा चुकी है, और यह सिलसिला अब भी जारी है।
निष्कर्ष
शेख रफीक पर हुई यह कार्रवाई एक कड़ा संदेश है कि शासन के निर्देशों की अनदेखी और शैक्षणिक ढांचे से जुड़ी लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। शिक्षा विभाग अब पारदर्शिता और नियमबद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।
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