
Bangladesh Hindu Attack –बांग्लादेश में तख्तापलट के एक साल बाद भी हिंदुओं पर हमले जारी: 59 हत्याएं, 33 महिलाओं से रेप, 192 मंदिरों पर हमले
ढाका। बांग्लादेश में अगस्त 2024 में हुए तख्तापलट के एक साल बाद भी अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों का दौर थमा नहीं है। शेख हसीना सरकार के पतन और डॉ. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बावजूद, हिंदुओं को लगातार हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
10 महीनों में 2442 सांप्रदायिक घटनाएं, 59 हत्याएं और 33 रेप केस
बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद (HBCUC) की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2024 से जून 2025 तक 10 महीनों में:
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59 हिंदुओं की हत्या
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33 महिलाओं के साथ बलात्कार
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192 मंदिरों पर हमले
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59 मामलों में ज़मीन पर कब्ज़ा
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1993 घरों और दुकानों पर लूटपाट व हिंसा
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42 मामले शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के

सबसे खतरनाक थे पहले 15 दिन: 328 मौतें, 2000 से अधिक हमले
18 जुलाई से 4 अगस्त 2024 तक हुए छात्र आंदोलन के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना के इस्तीफे के बाद पूरे देश में अराजकता फैल गई थी। खासकर 4 से 20 अगस्त तक 15 दिनों में ही:
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1705 अल्पसंख्यक परिवारों पर हमले
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157 घरों/दुकानों में लूटपाट
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9 हिंदुओं की हत्या
मुख्य हत्याएं (4 से 20 अगस्त 2024 के बीच):
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प्रदीप भौमिक (पत्रकार) – सिराजगंज में प्रेस क्लब के पास पीट-पीटकर हत्या।
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रिपन शील – हबीबगंज में गोली मारी गई।
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मृणाल कांति चटर्जी (रिटायर्ड शिक्षक) – घर में पीट-पीटकर मार डाला।
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हराधन रॉय (पार्षद) – रंगपुर में भतीजे सहित मारा गया।
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अजीत सरकार – दोमकोना गांव में हत्या।
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संतोष चौधरी (SI) – भीड़ ने पीटकर मार डाला, फिर पेड़ से लटकाया।
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स्वपन विश्वास – हथौड़े से सिर कुचल कर मारा गया।
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टिंकू रंजन दास – नारायणगंज में पीट-पीटकर हत्या।
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सुशांत सरकार – मेघना नदी किनारे मृत पाया गया।
शेष 4 महीनों में (अगस्त-दिसंबर 2024):
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174 नए सांप्रदायिक हमले
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23 हत्याएं
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64 मंदिरों पर हमले
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9 रेप केस
धर्मगुरु और निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी:
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चिन्मय कृष्ण दास, ISKCON धर्मगुरु को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
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19 हिंदू युवकों को जेल में डाला गया, जिनमें से कई सफाईकर्मी थे, जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
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दीपिका दास के पति नयन 8 महीने से बिना ट्रायल जेल में हैं।
क्या कहती है सरकार?
डॉ. यूनुस के मीडिया एडवाइजर शफीकुल आलम का दावा है कि:
“हम हालात सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। 20 केस ही सांप्रदायिक माने गए हैं, बाकी राजनीतिक झगड़े हैं। हसीना सरकार की तुलना में हालात बेहतर हैं।”
हिंदू संगठनों की आपत्ति:
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सरकार के सलाहकार परिषद और 11 सुधार समितियों में कोई हिंदू सदस्य नहीं है।
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नीतियों में हिंदुओं की आवाज नहीं सुनी जाती।
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प्रशासन की निष्क्रियता पर कई बार शिकायत की गई, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।