
Balrampur Pregnant Woman Delivery On Road -बलरामपुर में 4 किमी पैदल चली गर्भवती महिला, रास्ते में हुई डिलीवरी: गांव में नहीं है सड़क-पुल, एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)। जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर सोनहत ब्लॉक के पंडोपारा गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है। यहां सड़क और पुलिया नहीं होने से एक गर्भवती महिला को 4 किमी पैदल चलना पड़ा, जिसके दौरान रास्ते में ही खुले आसमान के नीचे उसकी डिलीवरी हो गई।
महिला को प्रसव पीड़ा के बाद एंबुलेंस नहीं मिल सकी, और गांव में सड़क नहीं होने से संजीवनी एक्सप्रेस वहां तक पहुंच भी नहीं सकी। इसके बाद परिजन उसे किसी तरह 15 किलोमीटर दूर बाइक से रघुनाथनगर अस्पताल ले गए।
सड़क नहीं, नाले पार कर बच्चे को जन्म दिया
28 वर्षीय मानकुंवर पंडो को जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो परिजनों ने तुरंत एंबुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन एक वाहन बलरामपुर में और दूसरा दूर क्षेत्र में व्यस्त था। मजबूर होकर परिजन महिला को पैदल ही अस्पताल ले जाने लगे। रास्ते में ही एक नाले के पास महिला को तेज दर्द हुआ और उसने दो महिलाओं की मदद से खुले में बच्चे को जन्म दिया।
बच्चे के जन्म के बाद भी उसे नाला पार कराना पड़ा। फिर बाइक पर बैठाकर रघुनाथनगर हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टरों ने मां और नवजात को भर्ती कर लिया है। बच्चे का वजन महज 2 किलो है, जो औसत से कम है।
वाड्रफनगर अस्पताल में किया गया शिफ्ट, स्वास्थ्य खतरे में
BMO डॉ. हेमंत दीक्षित के मुताबिक, मां और बच्चा फिलहाल चिकित्सकीय निगरानी में हैं। चूंकि बच्चा अंडरवेट है, इसलिए उसे विशेष निगरानी में बच्चों के वार्ड में रखा गया है। मानकुंवर का यह चौथा प्रसव है।
सड़क और पुल नहीं, हर बारिश में बनता है संकट
ग्रामीणों ने बताया कि सोनहत से पंडो बस्ती तक की 4 किमी दूरी अब भी कच्चे रास्ते और नालों से होकर जाती है। नालों पर पुलिया न होने के कारण बरसात में आवाजाही बंद हो जाती है। संजीवनी या महतारी एक्सप्रेस गांव तक नहीं पहुंच पाती, जिससे आपात स्थिति में लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।
आंगनबाड़ी और मितानिन की लापरवाही उजागर
यह मामला न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन की लापरवाही भी उजागर करता है। पंडो जनजाति विशेष संरक्षित श्रेणी में आती है, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान विशेष देखभाल, पोषण, टीकाकरण और निगरानी मिलनी चाहिए। लेकिन महिला की डिलीवरी के करीब होने के बावजूद कोई निगरानी नहीं की गई।
ग्रामीणों की मांग: जल्द बने सड़क और पुल
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि पंडोपारा को मुख्य सड़क से जोड़ा जाए और नालों पर पक्की पुलिया का निर्माण किया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी आपात स्थिति में जान जोखिम में न पड़े।