Attack On CJI Gavai -सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बड़ा हंगामा, आरोपी वकील गिरफ्तार, लाइसेंस रद्द
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी.आर. गवई पर हमला करने की कोशिश की।
वकील ने कोर्ट रूम के अंदर जूता फेंका और नारा लगाया – “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”।
सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया। जूता CJI की बेंच तक नहीं पहुंच पाया।
घटना के बाद भी सीजेआई गवई ने शांति बनाए रखी और कहा –
“इससे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीज़ों से फर्क नहीं पड़ता।”
👨⚖️ आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द, BCI ने किया निलंबन
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया।
उसका रजिस्ट्रेशन 2011 का था।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी तुरंत उसे निलंबित किया।
BCI चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह “वकीलों के आचरण नियमों का घोर उल्लंघन” है।
आरोपी को 15 दिनों में शो कॉज नोटिस जारी किया जाएगा और तब तक वह किसी भी अदालत में प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा।
SCBA ने कहा –
“ऐसा असंयमित व्यवहार वकील और न्यायपालिका के बीच के सम्मान की नींव को हिला देता है।”
🗣️ सोनिया गांधी बोलीं – यह संविधान पर हमला है
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा –
“यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि हमारे संविधान और कानून के शासन पर सीधा प्रहार है।
CJI गवई ने इस स्थिति में संयम और गरिमा दिखाई है, अब राष्ट्र को एकजुट होकर उनके साथ खड़ा होना चाहिए।”
🔸 पृष्ठभूमि: 16 सितंबर की टिप्पणी से नाराज था वकील

माना जा रहा है कि वकील CJI गवई की 16 सितंबर को की गई टिप्पणी से नाराज था।
मामला था — मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़ा।
CJI गवई ने याचिका खारिज करते हुए कहा था –
“जाओ, भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के भक्त हो, तो उनसे प्रार्थना करो।”
🛕 क्या है मूर्ति विवाद?

जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति है।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि मूर्ति मुगल काल में खंडित हुई थी और उसकी बहाली होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा —
“प्रतिमा जिस स्थिति में है, उसी में रहेगी।
भक्तों को पूजा करनी है तो वे दूसरे मंदिर जा सकते हैं।”
⚖️ 18 सितंबर: CJI ने दी थी सफाई
विवाद बढ़ने के बाद CJI गवई ने कहा था कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया।
“मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।”
बेंच में शामिल जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को “एंटी-सोशल मीडिया” बताया था।
💬 सॉलिसिटर जनरल और कपिल सिब्बल ने भी दी प्रतिक्रिया
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा –
“मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे हर धर्मस्थल पर जाते हैं।
सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं।”
कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई –
“सोशल मीडिया की वजह से आज वकीलों को रोज़ाना गलतफहमियों का सामना करना पड़ता है।”
🕉️ VHP का बयान – न्यायालय न्याय का मंदिर है
VHP प्रमुख आलोक कुमार ने X (पूर्व Twitter) पर लिखा –
“न्यायालय न्याय का मंदिर है। समाज का कर्तव्य है कि इस विश्वास को और मजबूत करे।
सभी को अपनी वाणी में संयम रखना चाहिए, विशेष रूप से न्यायालय के अंदर।”
📌 निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट जैसी सर्वोच्च संस्था के भीतर इस तरह की घटना अभूतपूर्व मानी जा रही है।
CJI गवई के संयमित रवैये की सभी पक्षों ने सराहना की है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा व्यवस्था और गरिमा दोनों पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
