Argument Between Home Minister and SP – छत्तीसगढ़ की राजधानी में आयोजित कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस के दौरान उस वक्त माहौल असहज हो गया जब गृहमंत्री विजय शर्मा और महासमुंद एसपी आशुतोष सिंह के बीच मंच पर ही बहस हो गई।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मौजूदगी में हुई इस नोकझोंक ने वहां बैठे अफसरों को भी हैरान कर दिया। घटना के दौरान मंच पर मुख्यमंत्री के साथ चीफ सेक्रेटरी विकास शील, डीजीपी अरुणदेव गौतम, एसीएस होम मनोज कुमार पिंगुआ और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह मौजूद थे।
महिला अपराध की समीक्षा के दौरान शुरू हुआ विवाद
दरअसल, बैठक के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय महिला अपराधों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। समीक्षा रिपोर्ट में यह सामने आया कि महासमुंद जिले में महिला अपराधों के मामले अन्य जिलों की तुलना में अधिक हैं।
इस पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने महासमुंद एसपी आशुतोष सिंह (IPS) से सवाल किया —
“आपके जिले में महिला अपराधों की स्थिति इतनी खराब क्यों है? और आरोपियों के खिलाफ 60 दिन के भीतर चालान क्यों नहीं पेश हो रहा?”
एसपी का जवाब सुनकर भड़क उठे गृहमंत्री
इस सवाल पर एसपी आशुतोष सिंह ने जवाब दिया —
“महासमुंद का एक बड़ा हिस्सा श्रमिक बाहुल्य है। कई अपराधी रोजगार के लिए बाहर चले जाते हैं या अन्य राज्यों में माइग्रेट कर जाते हैं, जिससे गिरफ्तारी में समय लगता है।”
एसपी का यह जवाब सुनकर गृहमंत्री विजय शर्मा नाराज़ हो गए। उन्होंने तुरंत तीखे लहजे में कहा —
“क्या आपका जिला छत्तीसगढ़ से बाहर है?”
गृहमंत्री की यह टिप्पणी सुनकर माहौल कुछ देर के लिए तनावपूर्ण हो गया। बताया जा रहा है कि एसपी आशुतोष सिंह अपनी बात पर अड़े रहे, जिससे स्थिति और असहज बन गई।
मुख्यमंत्री और अफसर हुए हैरान
गृहमंत्री और एसपी के बीच चल रही बहस को देख मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और मंच पर मौजूद अन्य वरिष्ठ अधिकारी कुछ क्षणों तक स्तब्ध रह गए।
हॉल में मौजूद तमाम अफसर एक-दूसरे की ओर देखने लगे। स्थिति को संभालते हुए बैठक को तुरंत दूसरे एजेंडे की ओर मोड़ दिया गया, ताकि माहौल सामान्य हो सके।
सीएम विष्णुदेव साय ने दिए सख्त निर्देश
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि महिला और बालिका से जुड़े अपराधों में संवेदनशीलता, तत्परता और दृढ़ता के साथ कार्रवाई करना जिला पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
उन्होंने सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिए —
“इन मामलों में जांच में किसी भी प्रकार की देरी या औपचारिकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समय-सीमा के भीतर चालान पेश किए जाएं ताकि पीड़िताओं को शीघ्र न्याय मिल सके।”
सीएम ने आगे कहा कि सभी जिलों में “सक्रिय और परिणाममुखी पुलिसिंग (Active & Result-Oriented Policing)” अपनाई जानी चाहिए, जिससे अपराध नियंत्रण में ठोस परिणाम दिखें।
कांफ्रेंस में मौजूद रहे शीर्ष अधिकारी
इस बैठक में राज्य प्रशासन और पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,
गृहमंत्री विजय शर्मा,
मुख्य सचिव विकास शील,
डीजीपी अरुणदेव गौतम,
एसीएस (गृह) मनोज कुमार पिंगुआ,
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह सहित सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी मौजूद थे।
घटना के बाद प्रशासनिक हलकों में चर्चा तेज
कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में मंच से हुई यह नोकझोंक अब प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।
अधिकारियों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि ऐसे सार्वजनिक मंचों पर इस तरह की बहस से विभागीय संबंधों पर क्या असर पड़ेगा। हालांकि बैठक का आधिकारिक एजेंडा “महिला सुरक्षा और त्वरित न्याय” पर केंद्रित था, लेकिन विवाद ने पूरे सत्र का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
