
अबूझमाड़ नेलांगुर विकास रिपोर्ट :नेलांगुर में बदलाव की लहर: नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की ग्राउंड रिपोर्ट
अबूझमाड़ की अबूझ पहेली अब सुलझती दिख रही है। सुरक्षा बलों की सक्रियता ने इस क्षेत्र में स्थित नक्सलियों के गढ़ को धीरे-धीरे ध्वस्त कर दिया है। इसी इलाके के अंतिम छोर पर बसे नेलांगुर गांव में, जो वर्षों से नक्सलियों के नियंत्रण में था, 23 अप्रैल को ITBP और पुलिस का नया कैंप स्थापित हुआ। यह कैंप अब नक्सलवाद के खिलाफ एक सशक्त कदम बन चुका है।
भरोसे की उम्मीद: सुरक्षा बलों की उपस्थिति
सुरक्षा बलों की मौजूदगी से ग्रामीणों के मन में जहां सुरक्षा का विश्वास मजबूत हुआ है, वहीं विकास की उम्मीदें भी पनपने लगी हैं। ETV भारत की टीम ने दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों को पार कर, इस गांव की जमीनी सच्चाई को जानने के लिए मौके पर जाकर रिपोर्टिंग की।
नेलांगुर की यात्रा और बदली तस्वीर
ग्राम नेलांगुर तक पहुंचने के लिए अब भी अस्थाई और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता है। पहले जहां घने जंगल और दुर्गम पहाड़ रास्ते को पूरी तरह ढक लेते थे, अब ITBP और पुलिस कैंप की स्थापना के बाद अस्थाई सड़कों का निर्माण शुरू हुआ है। हालांकि अभी भी कई स्थानों पर खड़ी चढ़ाई और संकरे रास्ते मौजूद हैं।
ग्रामीण जीवन की झलक
गांव के लोगों में सुरक्षा की भावना देखी गई। महिलाएं जंगलों में छिंद कीड़ा ढूंढती नजर आईं, जो आदिवासी समुदाय का पसंदीदा भोजन है। बुधराम, स्थानीय निवासी ने बताया कि हर वर्ष पतझड़ के मौसम में जंगलों में नियोजित ढंग से आग लगाई जाती है ताकि जले पौधों से खाद बने और हरियाली लौटे।
आईटीबीपी कैंप से बढ़ा आत्मविश्वास
ITBP की 45वीं वाहिनी के द्वितीय कमान अधिकारी प्रकाश भूषण झा ने बताया कि नेलांगुर में स्थापित यह कैंप सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल NH-130D के निर्माण को बल मिलेगा, बल्कि यह नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी विकास की राह खोलने में भी सहायक होगा।
बुनियादी सुविधाओं की ओर आशा
स्थानीय निवासी बुधराम ने बताया कि कैंप की स्थापना से सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं गांव तक आने की उम्मीद बनी है। नेलांगुर में कैंप बनने से सड़क निर्माण भी हुआ है, जिससे नारायणपुर और महाराष्ट्र के बीच की दूरी घट गई है। अबूझमाड़ से जगदलपुर और अन्य जिलों में आवागमन पहले की तुलना में आसान हुआ है।
अबूझमाड़ से महानगरों की कनेक्टिविटी
महाराष्ट्र के निवासी घिस्सु पुनगाटी ने बताया कि पहले यह इलाका बहुत जोखिम भरा था, लेकिन अब पुलिस कैंप बनने के बाद नक्सल प्रभाव कम हुआ है और रास्ते सुगम हो रहे हैं। इससे महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमाएं सुरक्षित होंगी और अबूझमाड़ भी मुंबई जैसे महानगरों से जुड़ सकेगा।
सीमावर्ती बदलाव के संकेत
टीम ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित उस स्थान का भी जायजा लिया, जहां सूचना बोर्ड अबूझमाड़ की बदलती तस्वीर को स्पष्ट कर रहे थे। दशकों के अलगाव के बाद अब यहां विकास की गति बढ़ने की उम्मीद नजर आने लगी है।
बुनियादी जरूरतों की तस्वीर
प्राकृतिक जलस्रोत बावड़ी पर स्थानीय युवती सुनाय उसेंडी ने बताया कि गांव में केवल एक खराब हैंडपंप है और वर्षों पुरानी बावड़ी ही पीने के पानी का एकमात्र साधन है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब गांव में सड़क, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी और अस्पताल जैसी सुविधाएं जल्द ही आएंगी।
अबूझमाड़ और नारायणपुर में विकास कार्य
अबूझमाड़ और नारायणपुर के दुर्गम क्षेत्रों में अब तक 13 नए कैंप खोले जा चुके हैं। सड़क निर्माण कार्य भी तेजी से जारी है। नारायणपुर से मरोड़ा तक 78 किमी, कुंदला, कोहकामेटा और कच्चापाल में 17 किमी, कोडोली से आंकाबेड़ा तक 18 किमी और ब्रहबेड़ा से कंदाड़ी, मुरनार, बेचा तक 24 किमी सड़क का निर्माण हो रहा है।
राष्ट्रीय संपर्क की पहल
कोंडागांव से नारायणपुर और महाराष्ट्र को जोड़ने वाली NH-130D पर कार्य तेज गति से हो रहा है। पीएम जनमन और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 20 गांवों में सड़क निर्माण किया जा रहा है।
नक्सलवाद पर करारा प्रहार
अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों के कैंप लगातार खोले जा रहे हैं। नेलांगुर की तरह कई और इलाकों में पुलिस कैंप स्थापित किए जा रहे हैं। यह कवायद नक्सलियों पर प्रहार जारी रखने और नक्सलवाद के खात्मे की रणनीति का हिस्सा है।
आकाश ठाकुर, संवाददाता