
Jharkhand Former CM Shibu Soren Passed Away: दिल्ली में ली अंतिम सांस, लंबे समय से चल रहे थे बीमार
नई दिल्ली/रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो (Jharkhand Mukti Morcha) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन (गुरुजी) का सोमवार को निधन हो गया।
उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 81 वर्ष के थे और ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर हालत में भर्ती थे।
ब्रेन स्ट्रोक के बाद उन्हें शरीर के बाईं ओर पैरालिसिस हो गया था। कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी देखरेख में लगी थी। वे किडनी, डायबिटीज और दिल की समस्याओं से भी लंबे समय से जूझ रहे थे।
एक नजर शिबू सोरेन के जीवन संघर्ष पर
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जन्म: 11 जनवरी 1944, नेमरा गांव, गोला प्रखंड, रामगढ़ (झारखंड)
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पिता की हत्या: मात्र 13 साल की उम्र में महाजनों ने की थी हत्या
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शिक्षा छोड़कर आदिवासी संघर्ष में उतरे
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1970 में धान कटनी आंदोलन से मिली पहचान
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सूदखोरों के खिलाफ लड़ाई के बाद लोगों ने दिया ‘दिशोम गुरु’ का नाम (अर्थ: देश का गुरु)
राजनीतिक सफर: तीन बार बने मुख्यमंत्री, सिर्फ 10 महीने का कार्यकाल
कार्यकाल | शुरुआत | इस्तीफा | कुल अवधि |
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पहली बार | 2 मार्च 2005 | 11 मार्च 2005 | 10 दिन |
दूसरी बार | 27 अगस्त 2008 | 18 जनवरी 2009 | लगभग 5 महीने |
तीसरी बार | 30 दिसंबर 2009 | 31 मई 2010 | लगभग 5 महीने |
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कुल मिलाकर वे तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन कभी भी पूरा कार्यकाल नहीं निभा पाए।
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2009 में तमाड़ विधानसभा उपचुनाव हारने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
केन्द्र में मंत्री और विवाद:
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UPA सरकार में कोयला मंत्री रहे।
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लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा देना पड़ा।
‘दिशोम गुरु’ बनने की कहानी
जब सूदखोर महाजनों के गुंडों ने उन्हें जान से मारने की कोशिश की, शिबू सोरेन बाइक समेत बराकर नदी में कूद गए और तैरकर सुरक्षित बाहर निकल आए।
इस चमत्कारी घटना के बाद आदिवासी समाज ने उन्हें ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि दी।
झारखंड के आदिवासी आंदोलन के अग्रदूत
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आदिवासियों की आवाज बने
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सामाजिक न्याय, भूमि अधिकार, और स्वशासन की लड़ाई लड़ी
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झारखंड राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
CM बनने के दौरान मुख्य घटनाएं:
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पहली बार मुख्यमंत्री बनने के 10 दिन बाद ही बहुमत न होने के कारण इस्तीफा देना पड़ा।
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दूसरी बार विधायक नहीं थे, इसलिए 6 महीने में चुनाव जीतना था लेकिन उपचुनाव हार गए।
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तीसरी बार 2009 में बने लेकिन गठबंधन में मतभेद के कारण फिर इस्तीफा देना पड़ा।