
Engineer To Farmer Vivek Bharat-
बस्तर (छत्तीसगढ़)। कभी नक्सल प्रभावित इलाकों में गिने जाने वाले बस्तर में अब नई कहानियां लिखी जा रही हैं। यहां के युवा उच्च शिक्षा और लाखों के पैकेज वाली नौकरियां छोड़कर खेती-किसानी को नया आयाम दे रहे हैं। ऐसा ही उदाहरण पेश किया है जगदलपुर निवासी 28 वर्षीय विवेक भारत ने, जिन्होंने 8 लाख सालाना पैकेज वाली ऑटोमोबाइल कंपनी की नौकरी छोड़कर खेती को चुना। आज वे धान, आम, चीकू और अमरूद की आधुनिक तकनीक से खेती कर 50 लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
इंजीनियरिंग के बाद 8 लाख पैकेज, फिर भी छोड़ी नौकरी
विवेक भारत बताते हैं—
“भिलाई से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद गाेवा की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में 8 लाख रुपए सालाना पैकेज पर नौकरी मिली। लेकिन बचपन से खेती के प्रति लगाव के कारण मन नौकरी में नहीं लगा। मेरी दादी खेती से जुड़े किस्से सुनाती थीं, जिससे मेरा झुकाव बढ़ा। आखिर मैंने नौकरी छोड़ खेती शुरू करने का निर्णय लिया।”
खेती की शुरुआत और संघर्ष
खेती शुरू करने के बाद विवेक को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
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धान की फसल में तना छेदक, बंकी और झुलसा जैसी बीमारियां फैल गईं।
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अमरूद में एंथ्रेक्नोज, उकठा रोग और चीकू में सूटी मोल्ड व पत्ती धब्बा रोग लग गए।
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उन्होंने कृषि विशेषज्ञों और अनुभवी किसानों से मार्गदर्शन लिया और कीटनाशकों और जैविक तकनीकों का सही उपयोग शुरू किया।
इजराइली तकनीक से मुनाफे में इजाफा
शुरुआत में विवेक ने भिंडी, करेले जैसी सब्जियों की खेती की। बाद में उन्होंने जवाफुल और तुलसी मंजरी जैसी सुगंधित धान की प्रजातियां लगाईं।
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अब वे आम, चीकू, अमरूद, शहतूत जैसे फलदार पौधों की खेती मल्चिंग पद्धति से कर रहे हैं।
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इस इजराइली तकनीक ने उनके खेतों में नमी बनाए रखने, उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने में मदद की है।
50 लोगों को मिला रोजगार
विवेक की खेती आज बस्तर के युवाओं के लिए प्रेरणा है।
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उनके खेतों में 50 से अधिक मजदूर नियमित रोजगार पा रहे हैं।
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विवेक युवाओं को आधुनिक कृषि तकनीक सिखा रहे हैं और बताते हैं कि खेती भी एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है।
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