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Bharatmala Compensation Scam -भारतमाला सड़क परियोजना में 18 गुना मुआवजा घोटाले ने रायपुर के तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए दायर उनकी अग्रिम जमानत याचिका को भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (EOW/ACB) की विशेष अदालत ने नामंजूर कर दिया।
आरोप क्या हैं?
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रायपुर‑विशाखापत्तनम कॉरिडोर के लिए ज़मीन अधिग्रहण के दौरान साहू पर कुछ भू‑स्वामियों को अनुचित लाभ पहुँचाने का आरोप है।
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विभागीय जाँच में पाया गया कि मुआवजा रिकॉर्ड में हेर‑फेर कर 18 गुना तक राशि बढ़ाई गई, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये का नुक़सान हुआ।
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रिपोर्ट ने साहू की जानबूझकर लापरवाही और सरकारी धन के दुरुपयोग को रेखांकित किया।
घोटाला कैसे उजागर हुआ?
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शिकायत सबसे पहले पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू व भाजपा किसान मोर्चा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने दर्ज कराई।
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मामला लगभग साढ़े तीन वर्ष पुराना है, जब राज्य में कांग्रेस सरकार थी।
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अभनपुर क्षेत्र में किसानों की भूमि अधिग्रहण के बाद रिकॉर्ड बदले गए और मुआवजा अफ़सर‑ब्रोकर गठजोड़ ने हड़प लिया।
जाँच और निलंबन
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गंभीरता को देखते हुए जिला स्तरीय जाँच समिति बनाई गई।
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जाँच रिपोर्ट आने पर पाँच महीने पहले साहू को निलंबित किया गया, तब वे जगदलपुर नगर निगम आयुक्त थे।
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निलंबन आदेश अवर सचिव क्लेमेंटिना लकड़ा ने जारी किया।
अदालत का रुख़
विशेष न्यायालय ने माना कि आरोप प्रथम दृष्टया गंभीर हैं; अग्रिम ज़मानत देने से जाँच प्रभावित हो सकती है। आदेश के बाद साहू की गिरफ़्तारी की संभावना प्रबल हो गई है।
अगला क़दम
EOW/ACB अब साहू को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर सकती है। भारतमाला परियोजना में यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के विरुद्ध अहम कदम के रूप में देखी जा रही है।
निष्कर्ष
18 गुना मुआवजे जैसे अनियमित लेन‑देन ने न केवल राजकोष को चूना लगाया, बल्कि किसानों के अधिकारों पर भी चोट पहुँचाई। अदालत के फैसले से संकेत मिलता है कि दोषियों पर कड़ा शिकंजा कसने की तैयारी है।
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