
Health Crisis Raipur
Health Crisis Raipur-मेकाहारा में 90 करोड़ की 90% मेडिकल मशीनें हुईं एक्सपायर, एक महीने में 133 मरीज बिना इलाज छोड़े अस्पताल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा (Ambedkar Hospital) से एक गंभीर रिपोर्ट सामने आई है। जून माह के दौरान अस्पताल की इमरजेंसी और अन्य विभागों में भर्ती हुए 133 मरीज बिना बताए अस्पताल छोड़कर चले गए, जबकि 46 मरीजों ने लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस (LAMA) ले ली। वहीं, 52 मरीजों की अस्पताल में मौत हो गई। इतना ही नहीं, 152 मरीजों को DKS अस्पताल रेफर किया गया।
इस चिंताजनक स्थिति के पीछे सबसे बड़ा कारण अस्पताल में इस्तेमाल हो रही मेडिकल मशीनों का खराब और एक्सपायर्ड होना बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, CT स्कैन, MRI, एक्स-रे सहित कुल 90 करोड़ की मशीनों में 90% मशीनें अपनी लाइफ पूरी कर चुकी हैं, जिससे मरीजों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पा रहा है।
बढ़ते मरीज, घटता भरोसा: मेडिकल संसाधनों का संकट
मेकाहारा में हर महीने 3500 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक अधिकांश मशीनें या तो खराब हैं या अपनी सेवा अवधि पूरी कर चुकी हैं। इससे मरीजों को ज़रूरी जांच में देरी होती है, और कई बार गंभीर परिणाम सामने आते हैं। कई मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने मरीजों के अस्पताल छोड़ने की संख्या को स्वीकार नहीं किया, लेकिन उन्होंने यह जरूर माना कि मशीनों की स्थिति गंभीर है और नई मशीनों की खरीद प्रक्रिया जारी है।
जांच के नाम पर इंतजार, जान गंवाने की मजबूरी
अस्पताल में MRI और CT स्कैन जैसी महत्वपूर्ण जांच मशीनों की वेटिंग 15-15 दिन तक की है। डॉक्टरों के अनुसार, कई बार जांच की समयसीमा पूरी होने से पहले ही मरीजों की हालत बिगड़ जाती है। दिवंगत पद्मश्री कवि डॉक्टर सुरेंद्र दुबे भी इसी कारण अपनी जांच नहीं करा पाए थे।
अस्पताल में मौजूद 11 प्रमुख मशीनों में से 7 पूरी तरह एक्सपायर, 3 मशीनें 2 साल से बंद, और 1 मशीन कंडम बताई जा रही है। बावजूद इसके, पिछले 7 वर्षों में नई मशीनों की खरीद को लेकर कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया।
बजट की मांग अधूरी, योजनाएं बदले विभाग को
पिछले वर्ष मेकाहारा प्रशासन ने 200 करोड़ रुपये की लागत से नई मशीनें खरीदने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन केवल 94.5 करोड़ की स्वीकृति मिली। MRI (3 टेसला) के लिए 28.5 करोड़ मांगे गए थे, लेकिन केवल 15 करोड़ स्वीकृत हुए। CT स्कैन (256 स्लाइस) के लिए 26 करोड़ की जरूरत थी, लेकिन सिर्फ 14 करोड़ की मंजूरी मिली। यही नहीं, कैंसर सर्जरी विभाग के लिए प्रस्तावित रोबोट सिस्टम को जनरल सर्जरी विभाग को दे दिया गया, जिससे विभागीय असंतुलन बढ़ गया।
प्रबंधन के जवाब और चुनौतियां
प्रशासन का दावा है कि हॉस्पिटल में मशीनें दुरुस्त करने के लिए नियमित मेंटेनेंस और रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया जारी है। डॉ. सोनकर ने कहा कि नई MRI और CT स्कैन मशीन के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही ये मशीनें अस्पताल में उपलब्ध होंगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि:
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LAMA लेने वाले मरीजों की संख्या बड़ी नहीं है – 1340 बेड वाले अस्पताल में 46 केस सामान्य हैं।
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52 मौतों में लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर स्थिति में पहुंचे मरीजों की सीमाएं थीं।
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मशीनों की कमी इलाज बाधित नहीं कर रही, लेकिन प्रक्रिया में समय जरूर लग रहा है।
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