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Pendra News पेंड्रा, छत्तीसगढ़:
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले का 141 साल पुराना ऐतिहासिक शासकीय प्राथमिक विद्यालय भर्रापारा अब युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की भेंट चढ़ने जा रहा है। अंग्रेजों के शासनकाल में 3 जुलाई 1884 को स्थापित इस विद्यालय को अब पूर्व माध्यमिक शाला में समायोजित किया जा रहा है। इस आदेश को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय, रायपुर द्वारा आधिकारिक निर्देश जारी कर दिया गया है।
शिक्षा का ऐतिहासिक केंद्र
यह स्कूल न केवल जीपीएम जिले का पहला विद्यालय था, बल्कि शिक्षा की एक समृद्ध परंपरा का प्रतीक भी है। जब यह स्कूल स्थापित हुआ था, तब क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जागरूकता इतनी कम थी कि केवल एक छात्र ही नामांकित हुआ था। इसके बावजूद अंग्रेजी सरकार ने विद्यालय को बंद नहीं किया और शिक्षा का अलख जलाए रखा।
141 साल पुराना रजिस्टर आज भी सुरक्षित
इतिहास के इतने लंबे सफर के बाद भी इस स्कूल में छात्रों के प्रवेश और नाम काटने से संबंधित रजिस्टर आज भी सुरक्षित रखा गया है। वर्तमान में विद्यालय में 48 छात्र अध्ययनरत हैं और इसका यू-डाइस कोड 22072202615 है।
स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत
विद्यालय के समायोजन के फैसले से स्थानीय नागरिकों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि यह स्कूल सिर्फ एक भवन नहीं बल्कि उनके इतिहास और भावना का प्रतीक है। अंग्रेजों ने जब सिर्फ एक छात्र था, तब भी इसे बंद नहीं किया, पर अब राज्य की युक्तियुक्तकरण नीति के चलते इसका स्वतंत्र अस्तित्व खत्म हो रहा है।
लाखों की लागत से हुआ था जीर्णोद्धार
तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा गणेश जायसवाल की मांग पर, उस समय के बिलासपुर कलेक्टर पी. दयानंद ने ₹11.50 लाख की राशि स्वीकृत कर विद्यालय के जीर्णोद्धार के निर्देश दिए थे। लेकिन अब इसी परिसर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में इसे समायोजित कर स्वतंत्र पहचान समाप्त की जा रही है।
आधिकारिक आदेश जारी
लोक शिक्षण संचालनालय, नया रायपुर द्वारा 27 मई 2025 को आदेश क्रमांक/83/2025/435 के अंतर्गत इस समायोजन का आदेश दिया गया है। सूची में स्पष्ट किया गया है कि भर्रापारा का ऐतिहासिक प्राथमिक विद्यालय अब पूर्व माध्यमिक शाला भर्रापारा के तहत चलेगा।
जिले में 953 स्कूल, 68 हजार से अधिक छात्र
जीपीएम जिले में कुल 953 सरकारी और निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें लगभग 68,268 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक विरासत वाले विद्यालय को बंद करने के बजाय उसे एक मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए था।
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