
Deer Poaching Chhattisgarh- रायपुर में तंत्र-मंत्र के लिए हिरण का शिकार, डील करते पकड़े गए तांत्रिक और तस्कर – 4 साल में 220 हिरणों का शिकार
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास और तांत्रिक क्रियाओं के चलते वन्यजीवों का अवैध शिकार और अवशेषों की तस्करी लगातार बढ़ती जा रही है। रायपुर इस अवैध कारोबार का केंद्र बनता जा रहा है, जहां तांत्रिक और तस्कर वन्य प्राणियों के अंगों की सौदेबाजी कर रहे हैं। हाल ही में रायपुर रेंज की फ्लाइंग टीम ने तांत्रिक समेत तीन आरोपियों को हिरण की खाल और सींगों के साथ गिरफ्तार किया।
27 मई को हुई बड़ी कार्रवाई
रायपुर रेंज स्तरीय फ्लाइंग टीम को 27 मई को दोपहर 3 बजे सूचना मिली कि बोलेरो गाड़ी में कुछ लोग वन्य प्राणियों के अवशेष लेकर रायपुर की ओर आ रहे हैं। टीम ने विधानसभा-बलौदाबाजार रोड पर घेराबंदी की और निजी स्कूल के पास बोलेरो को रोककर तीनों आरोपियों को पकड़ लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में पेंशनबाड़ा, रायपुर निवासी तांत्रिक आनंद श्रीवास्तव, पीपरछेड़ी कसडोल निवासी तुलाराम पटेल और भागीरथ पैकरा शामिल हैं।
हिरण की खाल और 5 सींग बरामद
टीम ने आरोपियों से एक हिरण की खाल और पांच सींग बरामद किए। पूछताछ में पता चला कि इन अवशेषों की डील करीब ढाई लाख रुपये में तय हुई थी। तांत्रिक आनंद श्रीवास्तव ने स्वीकार किया कि उसने खाल को लक्ष्मी पूजा में उपयोग करने की योजना बनाई थी। आरोपियों पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।
6 महीने पुरानी है खाल
रेंजर दीपक तिवारी के अनुसार, बरामद खाल करीब 6 महीने पुरानी प्रतीत हो रही है। खाल भागीरथ के पास थी, जिसे आनंद के कहने पर लाया गया। यह भी सामने आया है कि आनंद पूर्व में हथियारों के साथ जंगल में पकड़ा जा चुका है, और भागीरथ भी बारनवापारा में फंदा लगाते पकड़ा गया था।
एक महीने में दूसरी बड़ी कार्रवाई
वन विभाग की रेंज स्तरीय टीम द्वारा एक महीने में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले 29 अप्रैल को दो आरोपियों फराज और नियाद को हिरण के सींगों के साथ पकड़ा गया था।
बारनवापारा और पिरदा बने शिकारियों के सुरक्षित ठिकाने
बारनवापारा और पिरदा के जंगलों में शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 26 मई को बलौदाबाजार की टीम ने इन जंगलों में घुसे दो शिकारियों — बंटी कुमार मैथ्यूज (कसडोल) और सुरेंद्र फरमान दास (कोरबा) को एयर गन, टॉर्च और अन्य सामग्री के साथ पकड़ा।
4 साल में 220 हिरणों का शिकार
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार वर्षों में प्रदेश में 220 हिरणों का शिकार किया गया है। कई मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है, लेकिन अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की आड़ में यह काला धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा।
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