
Corona Cases Rise-
देश और दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। वह समय अभी ज्यादा दूर नहीं जब एम्बुलेंस की आवाजें, ऑक्सीजन की कमी से जूझते मरीज और अस्पतालों में बेड की तलाश में दौड़ते परिजन दिखाई देते थे। इसी संदर्भ में, रायपुर के सरकारी अस्पतालों की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया गया।
कोरोना का नया वेरिएंट JN.1
कोरोना का नया वेरिएंट JN.1 अब देश के कई हिस्सों में सक्रिय है। इस स्थिति में यह जानना जरूरी है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी सतर्क है? अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की क्या स्थिति है और RTPCR टेस्टिंग की क्षमता कितनी है, जानिए—
RTPCR टेस्टिंग की मौजूदा स्थिति
एक समय था जब प्रदेश के हर जिले में RTPCR टेस्टिंग होती थी और हजारों लोग प्रतिदिन जांच करवा रहे थे। लेकिन अब स्थिति यह है कि ज्यादातर RTPCR केंद्र या तो बंद कर दिए गए हैं या बहुत सीमित रूप से कार्य कर रहे हैं।
अब केवल मेडिकल कॉलेज या जिला अस्पतालों में ही यह जांच हो रही है। हालांकि मशीनें मौजूद हैं, परंतु जांच केंद्रों की भारी कमी है। यह चिंता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि तेजी से फैलने वाले वेरिएंट को पकड़ने के लिए RTPCR टेस्ट अनिवार्य होता है।
ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रायपुर के DKS और अंबेडकर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए थे, ताकि समय पर ऑक्सीजन आपूर्ति हो सके। लेकिन अब जब फिर से कोरोना का खतरा नजर आ रहा है, तो ये प्लांट निष्क्रिय हैं।
DKS अस्पताल ने बीते दो वर्षों में ऑक्सीजन सिलेंडरों पर लगभग 3.84 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। हर महीने करीब 16 लाख रुपए केवल सिलेंडर खरीदने में खर्च होते हैं। यह प्लांट मेडिग्लोब मेडिकल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लगाया गया था, जो तकनीकी खराबी के कारण 2022 से बंद पड़ा है। मेंटेनेंस के लिए भुगतान भी किया गया, लेकिन कंपनी ने काम नहीं किया और उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
कोविड केयर सेंटर की हालत
कभी जहां डॉक्टर और नर्सें दिन-रात तैनात रहती थीं, आज वहीं तालाबंदी की स्थिति है। कोविड केयर सेंटर की इमारतों का उपयोग अब गोदाम या अन्य कार्यों के लिए हो रहा है। जिला अस्पताल परिसर में रखे गए पोर्टेबल केयर यूनिट्स भी उपेक्षित पड़े हैं।
AC सिस्टम, मॉनिटरिंग मशीन, ऑक्सीजन पाइपलाइन और बेड जैसी आपातकालीन सुविधाएं इन यूनिट्स में थीं, लेकिन अब दरवाजे जाम हो चुके हैं, मशीनें बंद हैं और पाइपलाइन में जंग लग चुकी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि ये यूनिट्स सक्रिय रहें, तो दूसरी मेडिकल इमरजेंसी में भी काम आ सकते हैं।
एशियाई देशों में बढ़ते मामले
ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट्स JN.1, LF7 और NB1.8 को इस बार संक्रमण के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। हालांकि अभी तक यह साबित नहीं हुआ कि ये पुराने वेरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक हैं, परंतु कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर इसका असर अधिक देखा जा सकता है।
मुंबई में कोविड पॉजिटिव दो मरीजों की मौत हुई है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मृत्यु कोविड के कारण नहीं बल्कि अन्य बीमारियों – जैसे मुंह का कैंसर और नेफ्रोटिक सिंड्रोम – से हुई।
सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन और थाईलैंड जैसे देशों में फिर से मामलों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
2021 में मौतों के चौंकाने वाले आंकड़े
भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) द्वारा हाल ही में दो महत्वपूर्ण रिपोर्टें जारी की गई हैं, जिनमें बताया गया है कि वर्ष 2021 में भारत में कोरोना मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण बना।
राज्य सरकार ने पहले दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में 2021 में केवल 10,229 मौतें कोरोना से हुईं। लेकिन ‘वाइटल स्टैटिस्टिक्स ऑफ इंडिया बेस्ड ऑन सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम 2021’ रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान राज्य में कोरोना से 81,106 मौतें हुईं, जो बताई गई संख्या से आठ गुना अधिक हैं।
देशभर में 2021 में कुल 19.7 लाख अतिरिक्त मौतें दर्ज की गईं, जो आधिकारिक आंकड़ों से छह गुना ज्यादा हैं। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि अब भी अलर्ट रहने और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरूरत बनी हुई है।