
Doctor Death Arrested: 100 से ज्यादा हत्याओं के आरोपी ने बाबा बनकर आश्रम में ली थी शरण
राजस्थान के दौसा जिले से दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक ऐसे खूंखार अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसे ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से जाना जाता है। आरोपी की पहचान अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के पुरैनी गांव निवासी डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा (उम्र 67 वर्ष) के रूप में हुई है। देवेंद्र वर्ष 1995 से 2004 के बीच अपने गैंग के साथ मिलकर कई जघन्य हत्याओं को अंजाम दे चुका है और उसके खिलाफ अब तक 21 हत्याओं में आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।
सात मामलों में उम्रकैद, एक में फांसी की सजा
देवेंद्र पर दिल्ली में दर्ज सात हत्या मामलों में अदालत उसे आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है। वहीं गुरुग्राम की एक अदालत ने उसे फांसी की सजा दी थी। वर्ष 1998 से 2004 के बीच उसने अवैध रूप से 125 किडनी ट्रांसप्लांट भी कराए। ये सभी ऑपरेशन उसने कथित तौर पर डॉ. अमित नामक व्यक्ति के साथ मिलकर अंजाम दिए। 2004 में उसकी गिरफ्तारी के बाद इस किडनी रैकेट और सीरियल किलिंग का खुलासा हुआ था।
पैरोल पर बाहर आया, आश्रम में छिपा बैठा था ‘बाबा’
9 जून 2023 को देवेंद्र को दो माह के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था, लेकिन नियत तिथि पर उसने जेल में सरेंडर नहीं किया। जांच के दौरान पता चला कि वह राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में बाबा बनकर रह रहा है। पुलिस ने आश्रम में दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
कैसे पकड़ में आया ‘डॉक्टर डेथ’?
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम ने जानकारी दी कि उनकी टीम पैरोल से फरार अपराधियों को ट्रैक कर रही थी। इसी क्रम में डॉ. देवेंद्र की तलाश शुरू की गई। जांच टीम में इंस्पेक्टर राकेश कुमार, अनुज कुमार समेत अन्य अधिकारी शामिल थे। दिल्ली, अलीगढ़, जयपुर, आगरा और प्रयागराज जैसे शहरों में कई महीनों तक जांच करने के बाद आखिरकार उसकी लोकेशन दौसा में ट्रेस की गई। इसके बाद पुलिस की टीम ने दौसा में दबिश दी और बाबा के वेश में रह रहे देवेंद्र को पकड़ लिया।
पहले भी फरार हो चुका है पैरोल पर
पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि वर्ष 2020 में भी वह पैरोल पर बाहर आने के बाद गायब हो गया था। उस वक्त भी छह महीने बाद पुलिस ने उसे खोजकर दोबारा जेल भेजा था।
50 हत्याओं के बाद याद नहीं रही गिनती
पूछताछ में देवेंद्र ने बताया कि 50 हत्याओं के बाद उसे गिनती याद रखना भी मुश्किल हो गया था। मूल रूप से अलीगढ़ का निवासी देवेंद्र ने अपनी पढ़ाई बिहार से पूरी की थी। उसके पिता सिवान में एक फार्मा कंपनी में काम करते थे। 1984 में बीएएमएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दौसा, राजस्थान आ गया और ‘जनता क्लीनिक’ नाम से अस्पताल शुरू किया।
ठगी से शुरू हुआ अपराध का सफर
डॉक्टरी के शुरुआती वर्षों में ही देवेंद्र के साथ एक टॉवर लगवाने के नाम पर 11 लाख की ठगी हुई थी। इसके बाद उसका विश्वास समाज से उठ गया और उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। पहले वह फर्जी गैस एजेंसी खोलकर लोगों से धोखाधड़ी करता था। इसके बाद अपना गैंग बनाकर टैक्सी और ट्रक चालकों को निशाना बनाने लगा।
ट्रक-टैक्सी चालकों की हत्या कर बेचता था वाहन
देवेंद्र और उसका गैंग टैक्सी और ट्रक बुक करते थे, फिर चालकों की हत्या कर उनके शव को ठिकाने लगा देते थे। इन वाहनों को ग्रे मार्केट में ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता था। देवेंद्र के अनुसार, शुरू में वह गिनती रखता था लेकिन 50 हत्याओं के बाद संख्या इतनी बढ़ गई कि उसे खुद याद नहीं रही।
मगरमच्छों वाली हजारा नहर में फेंकता था शव
देवेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह मारे गए ट्रक और टैक्सी चालकों के शवों को कासगंज की हजारा नहर में फेंक देता था, जहां बड़ी संख्या में मगरमच्छ थे। शवों को मगरमच्छ खा जाते थे और सबूत मिट जाते थे। 2004 में पहली गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने नहर की जांच की, तब भी उन्हें कोई शव नहीं मिला।
अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट
देवेंद्र ने कबूल किया कि 1998 में डॉ. अमित से मुलाकात के बाद वह अवैध किडनी रैकेट में शामिल हो गया। अमित ने दिल्ली और गुरुग्राम सहित कई शहरों में किडनी ट्रांसप्लांट के अवैध सेटअप बना रखे थे। देवेंद्र गरीब लोगों को बिहार, बंगाल और नेपाल से बहला-फुसलाकर लाता और डोनर के बदले 5 से 7 लाख रुपये लिए जाते थे। इस गैंग ने 1998 से 2004 के बीच 125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कर डाले।
निष्कर्ष:
‘डॉक्टर डेथ’ नाम का यह कुख्यात अपराधी केवल एक सीरियल किलर ही नहीं, बल्कि मानवता के लिए अभिशाप था। उसकी गिरफ्तारी भले ही देर से हुई हो, लेकिन पुलिस की सतर्कता से यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। अब कानून उसके सभी अपराधों का हिसाब लेगा।