
Trump on India Pakistan: अमेरिकी प्रशासन की सफलता बताने पर फिर विवाद
नई दिल्ली / वाशिंगटन।
भारतीय सेना द्वारा नौ पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किए जाने के बाद 10 मई से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम लागू है। इस घटनाक्रम के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार यह दावा कर रहे हैं कि यह युद्धविराम उनके प्रशासन की बड़ी कूटनीतिक जीत है। बीते आठ दिनों में ट्रंप यह बयान सातवीं बार दोहरा चुके हैं, जबकि भारत सरकार इस दावे का कई बार खंडन कर चुकी है।
ट्रंप ने हाल ही में वाशिंगटन लौटते समय एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का स्तर खतरनाक था। जो कुछ भी हुआ, उससे हम काफी संतुष्ट हैं और उम्मीद करते हैं कि यह शांति बनी रहे।”
सातवीं बार दोहराया दावा
ट्रंप ने 10 मई के बाद से सातवीं बार यह दोहराया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम लाने में अमेरिका की भूमिका अहम रही है। उन्होंने खाड़ी देशों की चार दिवसीय यात्रा — जिसमें सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे — के दौरान भी यही बयान दिया था।
कतर के दोहा में अल उदीद एयर बेस पर अमेरिकी सैनिकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने दोहराया कि “हमने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव घटाने में मदद की है। यह अमेरिका की एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है।”
विदेश विभाग की प्रतिक्रिया
अमेरिकी विदेश विभाग ने भी इस विषय पर प्रतिक्रिया दी। विभाग के उप प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा कि अमेरिका संघर्ष विराम को लेकर संतुष्ट है और दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष संवाद को बढ़ावा देना चाहता है। उन्होंने कहा, “हम स्पष्ट रूप से चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान आपसी वार्ता करें। हमें खुशी है कि फिलहाल सीजफायर कायम है।”
ट्रंप की विश्वसनीयता पर उठे सवाल
हालांकि, ट्रंप के इन बयानों पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सवाल उठने लगे हैं। 15 मई को उन्होंने इस दावे से यू-टर्न लेते हुए इसका जिक्र नहीं किया, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर संदेह और गहरा गया है। भारत सहित कई देशों ने साफ किया है कि संघर्ष विराम का निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं है।
भारत सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि ट्रंप के बयानों में कोई सच्चाई नहीं है और यह केवल अमेरिका की कूटनीतिक छवि चमकाने की कोशिश है।
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