
2025 Monsoon in India -मानसून ने तय समय से पहले दी दस्तक, केरल में 8 दिन पहले पहुंचा: 16 साल में सबसे तेज, 4 जून तक MP-UP पहुंचने की उम्मीद
देश में मानसून की शुरुआत इस बार सामान्य समय से आठ दिन पहले हो गई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दी, जो 16 वर्षों में सबसे जल्दी है। इससे पहले 2009 में यह 9 दिन पहले आया था। 2024 में मानसून 30 मई को पहुंचा था।
IMD ने बताया कि मानसून शुक्रवार की शाम को आगे बढ़ा, जब वह चार दिनों से लगभग 40-50 किलोमीटर दूर अटका हुआ था। इसके चलते शनिवार को इसके तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी सक्रिय होने की संभावना है। आगामी एक सप्ताह में यह दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत को कवर कर सकता है, जबकि मध्य और पूर्वी भारत में इसके 4 जून तक पहुंचने का अनुमान है।
मानसून के आगमन का इतिहास
आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। इसके बाद यह 17 सितंबर से लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक देश से पूरी तरह विदा हो जाता है।
IMD के 150 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, मानसून के आगमन की तारीखों में काफी अंतर रहा है। 1918 में यह सबसे जल्दी 11 मई को आया था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को पहुंचा।
जल्दी मानसून का मतलब ज्यादा बारिश नहीं
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि मानसून के जल्दी या देर से आने और पूरे सीजन की बारिश के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता। जल्दी पहुंचना यह सुनिश्चित नहीं करता कि यह पूरे देश में समय पर या समान रूप से बरसेगा।
अल नीनो इस साल निष्क्रिय, बारिश सामान्य से अधिक की उम्मीद
इस साल मानसून को लेकर अच्छी खबर यह है कि अल नीनो का प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा। मौसम विभाग ने अप्रैल में ही घोषणा की थी कि 2025 के मानसून सीजन में अल नीनो की संभावना नहीं है, जिससे सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। 2023 में अल नीनो के कारण वर्षा औसत से 6% कम रही थी।
जलवायु प्रभाव समझिए:
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अल नीनो: इसमें समुद्री सतह का तापमान 3-4°C तक बढ़ जाता है। इससे बारिश की सामान्य व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
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ला नीना: इसमें समुद्री तापमान गिरता है, जिससे ज्यादा वर्षा होती है।
तटीय राज्यों के लिए चेतावनी और प्रतिबंध
IMD ने केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप के तटीय क्षेत्रों में आंधी और तेज हवाओं की चेतावनी जारी की है। इसके चलते 27 मई तक इन क्षेत्रों में मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन से सावधानी बरतने को कहा गया है।
मानसून समय से पहले क्यों आया?
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार मानसून के जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री नमी का बढ़ना है। समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक रहा, जिससे मानसूनी हवाएं अधिक सक्रिय हो गईं। इसके अलावा पश्चिमी हवाओं और क्षेत्रीय चक्रवातों ने भी इसकी गति बढ़ाने में भूमिका निभाई। साथ ही, जलवायु परिवर्तन भी मौसम में बदलाव की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है।
क्या जल्दी मानसून का मतलब जल्दी वापसी है?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून का जल्दी आना इसका जल्दी खत्म होना तय नहीं करता। इसकी अवधि और तीव्रता समुद्री तापमान, वायुदाब और वैश्विक मौसम पैटर्न जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। कई बार मानसून देर से आता है, लेकिन लंबे समय तक रहता है और अच्छी बारिश देता है, जबकि कभी यह जल्दी आकर कमजोर पड़ जाता है।
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