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रायगढ़, 8 मई 2025। पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग, रायगढ़ में वर्ष 2012 में हुई चतुर्थ श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया में पाई गई अनियमितताओं और घोटालों की पुष्टि के बाद सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए 44 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। यह फैसला लगभग 13 साल तक चली विस्तृत जांच के बाद सामने आया है, जिसमें भर्ती नियमों की अनदेखी, आरक्षण व्यवस्था के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के पुख्ता प्रमाण मिले हैं।
वर्ष 2012 में विभाग ने आकस्मिक निधि के अंतर्गत स्वच्छक, परिचारक और चौकीदार के 32 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। लेकिन इसके उलट विभाग ने 44 लोगों की नियुक्ति कर दी, जो स्वीकृत पदों से अधिक थी। इस गड़बड़ी को लेकर आनंद विकास मेहरा नामक शिकायतकर्ता ने 10 अगस्त 2012 को जिला पंचायत अध्यक्ष को शिकायत सौंपी थी।
शिकायत पर तत्कालीन अपर कलेक्टर एस.के. शर्मा द्वारा जांच की गई और 14 सितंबर 2012 को रिपोर्ट पेश की गई। इसके आधार पर 27 सितंबर 2012 को भर्ती आदेश रद्द कर दिए गए। इसके खिलाफ नियुक्त कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली और स्थगन आदेश प्राप्त किया। अदालत के निर्देश के अनुसार दोबारा जांच हुई और 27 मार्च 2025 को एक नई रिपोर्ट में भारी अनियमितताएं फिर से प्रमाणित हुईं।
जांच रिपोर्ट में प्रमुख अनियमितताएं इस प्रकार रहीं:
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महिला, दिव्यांग और भूतपूर्व सैनिक आरक्षण का पालन नहीं किया गया।
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विज्ञापित पदों से अधिक संख्या में नियुक्तियां की गईं।
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मेरिट सूची प्रकाशित नहीं की गई, ना ही दावा-आपत्ति आमंत्रित की गई।
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उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में लापरवाही बरती गई।
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प्रतीक्षा सूची तैयार नहीं की गई।
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दो महिला उम्मीदवारों को नियमविरुद्ध तरीके से नियुक्ति दी गई।
इन गड़बड़ियों के आधार पर उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, रायगढ़ ने 44 कर्मचारियों को सेवा से पदच्युत करने का आदेश जारी किया है।
तीन कर्मचारियों का इस दौरान निधन भी हो चुका है:
श्रीबंत पंडा (घरघोड़ा), मुकेश मारावी (चिमटापानी), और गणेश नाग (घटगांव)।
यह निर्णय शासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दिशा में एक सख्त और स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि पुरानी अनियमितताओं पर भी शासन की नजर बनी रहती है और जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा।
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Source – NW news